उत्तर प्रदेश के नए सीएम योगी आदित्यनाथ ने विकास करने की गाड़ी को एक गति दे दी है। जनता योगी आदित्यनाथ के कामों से काफी खुश दिख रही है लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़े अफसरों की खबर लेनी शुरू कर दी है। कमान संभालते ही अब सरकार की नजर विकास प्राधिकरणों में भष्ट्राचार और गड़बड़ी पर है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण ने डंडा घूमाते हुए इंजीनियरों की कमाई की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। जूनियर इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर को ब्यौरे में यह बताना होगा कि कार्यभार संभालने के बाद से हर पांच कर उनकी चल-अचल संपत्ति में कितनी बढ़त हुई है। सरकार ने एलडीए के साथ-साथ अन्य सभी विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों से ब्यौरा 1 अप्रैल तक भेजने को कहा है। ऐसा न करने पर अधिकारियों पर कार्यवाही भी की जाएगी। आरोप है कि कई इंजीनियरों ने संपत्ति जुटाने के लिए  टेंडर, अवैध निर्माण रोकने और करवाने, आदेश मिलने पर भी कार्यवाही न करने, सील बिल्डिंग खोलने और मानचित्र पास जैसे अवैध कार्य किए हैं। ब्यौरे में इंजीनियरों को उनके, उनकी पत्नी और उनपर निर्भर रहने वाले सदस्यों की संपत्ति के इजाफे के बारे में बताना होगा।

बताया जा रहा है कि एलडीए के संपत्ति अधिकारी, बाबुओं और बड़े अफसरों पर भष्ट्राचार के आरोप हैं। कुछ अफसरों ने अपनी पत्नी के नाम जमीन खरीद कर स्कूल बनवाएं है तो कुछ अफसरों ने कमर्शल इमारतें बनवाई हैं। ऑडिट सेल पिछले तीन साल से फाइलें मांग रहा है लेकिन एलडीए के प्लॉट, फ्लैट, नजूल, ट्रस्ट और समायोजन में पिछले तीन साल में बड़ा घोटाला करने वाले आला अफसर ऑडिट नहीं होने दे रहे। यह पहली बार नहीं है जब एलडीए ने संपत्ति का ब्यौरा मांगा है। तीन साल पहले भी सभी इंजीनियरों, कर्मचारियों और बाबुओं से सम्पत्ति का ब्योरा मांग कर फॉरमेट जारी भी करवाया था लेकिन आज तक किसी अधिकारी या कर्मचारी ने उन्हें सम्पत्ति का ब्योरा नहीं सौंपा।

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