केरल में बारिश फिलहाल बंद है और इसलिए राहत में तेज़ी आई है। लेकिन करीब 10 लाख लोग राहत शिविरों में हैं और पानी कम होने के बाद पानी से फ़ैलने वाली बीमारियों का ख़तरा बढ़ गया है। फिर से ज़िंदगी पटरी पर लाने के लेकिए कई ज़रूरतें हैं और इन चुनौतियो के बीच सियासत भी हो रही है। सभी श्रेय लेने की होड़ के बीच आरोप प्रत्यारोप चल रहा है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि यूएई को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने यह बयान केंद्र द्वारा बाढ़ को लेकर विदेशी सहायता लौटाने के संबंध में आई रिपोर्ट के सिलसिले में दिया है। विजयन ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यूएई ने खुद सहायता का प्रस्ताव दिया है। यूएई को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं समझा जा सकता है, जैसाकि उनके शासकों ने रेखांकित किया है।’

उन्होंने कहा कि भारतीय, खासतौर से केरल के लोगों का उनके राष्ट्र निर्माण में काफी योगदान है। केरल में राहत और पुनर्वास कार्य के लिए अबू धावी के क्राउन प्रिंस की तरफ से की गई करीब 700 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की पेशकश को केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया है।

मुख्यमंत्री ने इससे पहले कहा कि शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टेलीफोन करके मदद की पेशकश की थी। भारत 2004 से ही प्राकृतिक आपदाओं के लिए दूसरे देशों की सरकारों की मदद नहीं ले रहा है।

मुख्यमंत्री विजयन के अलावा केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि वह केंद्र सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों के लिए यूएई की वित्तीय सहायता पर रोक लगाने को लेकर अचंभे में हैं जबकि सरकार ने खुद अभी तक केवल 600 करोड़ रुपये की ही सहायता दी है।

जाहिर हैं जब पूरे देश को मिलकर, कंधे से कंधा मिलाकर बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए, उनकी जिंदगी को दोबारा सामान्य बनाने के लिए काम करना चाहिए तो सरकारें इस पर भी सियासत करने से चूक नहीं रहे।

एपीएन ब्यूरो

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