सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने एक अहम कदम उठाया हैं। अब केंद्र सरकार से संबद्ध सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों का निपटारा 6 महीने के भीतर ही हो जाएगा।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने केंद्रीय लोक सेवा नियम, 1965 में संशोधन करते हुए जांच के महत्वपूर्ण चरणों और जांच प्रक्रियाओं के लिए समय सीमा तय करने का फैसला लिया है। इससे पहले जांच प्रक्रिया पूरी करने की कोई तय समय-सीमा नहीं थी। यह फैसला ऐसे मामलों की जांच में तेजी लाने के उद्देश्य से किया गया है, जो काफी समय से लंबित पड़े हैं।

नए नियम के अनुसार, अब जांच एजेंसी को 6 महीने के भीतर जांच पूरी करके रिपोर्ट केंद्र सरकार या सम्बंधित संस्था को सौंपना होगा। यह 6 महीने का समय जांच अधिकारी की नियुक्ति के बाद से शुरू होगा। हालांकि सरकार ने यह भी तय किया है कि उचित और संतोषजनक कारण बताए जाने पर जांच एजेंसी को 6 महीने तक का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है।

बचाव के लिए आरोपी कर्मचारी को मिलेगा 15 दिन का समय

New norms of governmentनए नियमों के अनुसार, आरोपी सरकारी कर्मचारी को स्वयं के बचाव के लिए 15 दिन का समय मिलेगा। इससे पहले इस तरह के बयान दाखिल करने की कोई समय सीमा तय नहीं थी। इस नियम के अनुसार, जांच एजेंसी को आरोपों की सूची, दुर्व्यवहार के आरोप की लिखित कॉपी, गवाहों की सूची आदि कागजात को आरोपी कर्मचारी को सौंपना होगा।

इसके बाद उस सरकारी कर्मचारी को स्वयं के बचाव में 15 दिनों के भीतर लिखित बयान देना होगा। इसके साथ ही वह मांग कर सकता है कि उसके बचाव को सिर्फ लिखित रूप में नहीं बल्कि मौखिक और व्यक्तिगत रूप से भी सुना जाए। इसके लिए भी समय सीमा 15 दिन बढ़ाई जा सकती है, लेकिन किसी भी दशा में जवाब दाखिल करने की अवधि 45 दिन से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती।

इनको मिली हुई है छूट

इस नए नियम में अखिल भारतीय सेवाओं-भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) और कुछ अन्य श्रेणियों के अधिकारियों को छूट मिली है। इन्हें छोड़कर सभी श्रेणी के कर्मचारियों पर ये नए नियम लागू होंगे।

भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार हो रही है वृद्धि

हाल ही में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों, बीमा कंपनियों और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से कहा था कि वे भ्रष्टाचार के लंबित मामलों की जांच और जांच रिपोर्टों में तेजी लाएं। बताते चले कि भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। संसद में पेश एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में विभिन्न सरकारी विभागों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों में 67% वृद्धि हुई थी। 2015 में जहां भ्रष्टाचार से संबंधित 29,838 शिकायतें मिलीं थी, वहीं 2016 में यह संख्या बढ़कर 49,847 हो गई। केंद्र सरकार के इस फैसले से भ्रष्टाचार के मामलों के जांच में तेजी की उम्मीद है।

राज्य सरकारें भी कर रही हैं प्रयास

भ्रष्टाचार को कम करने के लिए केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारें भी कई तरीके अपना रहीं हैं। आंध्र प्रदेश में चंद्र बाबू नायडू सरकार ने 1 जून से ‘People First’ नाम से बकायदा एक मुहिम चलाई है। इस मुहिम के तहत ‘1100’ नंबर पर फोन कर के आम लोग रिश्वत दिए जाने की शिकायत कर सकते हैं। इसके बाद सरकार संबंधित कर्मचारियों को चेतावनी देती है और फिर रिश्वत की रकम वापस कराई जाती है। इस योजना के तहत अब तक 12 कर्मचारियों ने रिश्वत की रकम लौटा दी है।

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