केंद्र सरकार ने गुरुवार को पंजाब में रावी नदी पर शाहपुरकंडी डैमपरियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की मदद से मधोपुर हेडवर्क्स से होते हुए पाकिस्तान में फालतू बह जाने वाले पानी को रोककर इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी। इसके 2022 तक पूरा हो जाने की संभावना है। इस बांध की मदद से जम्मू-कश्मीर और पंजाब में किसानों को सिंचाई जैसे काम के लिए काफी पानी मिलेगी। हालांकि 2285 करोड़ रुपये के अधिक के बजट से इस प्रॉजेक्ट की प्लैनिंग 17 साल पहले ही कर ली गई थी, लेकिन पैसों की कमी की वजह से यह तैयार नहीं हो पाया। केंद्र सरकार इस प्रॉजेक्ट में 485 करोड़ रुपये से अधिक (सिंचाई वाले हिस्से के लिए) का आर्थिक सहयोग देगी। 2018-19 से लेकर 2022-23 तक पांच सालों के दरम्यान इसे पूरा करने का लक्ष्य बनाया गया है।

केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए इस डैम के संबंध में फैसला लिया है। सिंधु नदी के जल बंटवारे के लिए 1960 में भारत और पाकिस्ताखन ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों-रावी, ब्यासस और सतलुज के जल के इस्तेमाल का पूरा अधिकार मिला था।

इस प्रॉजेक्ट के पूरा होने के बाद पंजाब में 5000 हेक्टेयर और जम्मू-कश्मीर में 32,173 हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन की सिंचाई संभव हो पाएगी। इसके अलावा इसकी मदद से पंजाब 206 मेगावॉट का अतिरिक्त हाइड्रो-पावर भी पैदा करने में सक्षम होगा। योजना आयोग (अब नीति आयोग) ने नवंबर 2001 में ही इस प्रॉजेक्ट को शुरुआती स्वीकृति दे दी थी। इस प्रॉजेक्ट की रिवाइज्ड कॉस्ट को अगस्त 2009 में जलसंसाधन मंत्रालय की अडवाइजरी कमिटी से अनुमोदन भी मिल गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here