10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा दे चुके छात्रों के लिए मई का महीना बड़ा ही तनावपूर्ण रहता है क्योंकि इसी महीने के अंत में बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आने वाले होते है। हालांकि हमारे देश में अनेक राजकीय बोर्ड हैं लेकिन सबसे ज्यादा छात्र सीबीएसई बोर्ड से परीक्षा देते हैं। इस वर्ष भी सीबीएसई 24 मई को 12वीं की परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने वाला था और विद्धार्थियों में इसके कारण उत्साह के साथ-साथ काफी तनाव भी था। विद्धार्थियों का यह तनाव अब एक दिन के लिए और बढ़ गया है क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने 12वीं के रिजल्ट को एक दिन बाद मॉडरेशन नीति के साथ घोषित करने का आदेश दिया है।

मॉडेरशन नीति खत्म करने की वजह से दायर हुई याचिका

हाईकोर्ट के इस आदेश से निश्चित तौर पर देशभर के लाखों छात्रों को फायदा होगा। दरअसल कुछ दिनों पहले सीबीएसई ने एक नया नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें कहा था कि अब बोर्ड की परीक्षाओं में मुश्किल प्रश्नों पर छात्रों को ग्रेस मार्क्स नहीं दिया जाएगा। सीबीएसई द्वारा अचानक जारी किए गए इस नोटिफिकेशन से काफी अभिभावक नाराज हो गए और उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी कि बोर्ड के औचक फैसले से छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय समेत विदेशों में दाखिला लेने में दिक्कत आएगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया आदेश

  • याचिका पर सुनवाई करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई की मॉडरेशन पॉलिसी यानि छात्रों को ग्रेस मार्क्स ना देने वाले फैसले पर रोक लगा दी है। इस वजह से 12वीं के नतीजे घोषित करने में एक दिन की देरी हुई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई को 15 फीसदी अतिरिक्त अंक देने के फैसले को इस साल बहाल रखने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की पीठ ने अभिभावकों की याचिका पर यह अंतरिम फैसला दिया है।
  • कोर्ट ने कहा, ”खेल शुरू होने के बाद रूल नहीं बदले जा सकते हैं। जिन बच्चों ने आधी रात तक जाग कर तैयारी की। उन्हें पता होना चाहिए कि बोर्ड का सिस्टम कैसे काम कर रहा है।”
  • ”बोर्ड इस साल पॉलिसी वापस नहीं ले सकता है। ऐसा कर आप बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी नहीं कर सकते हैं। पॉलिसी चेंज करने से अगर कोई स्टूडेंट विदेशी यूनिवर्सिटी में दाखिला पाने से चूक गया तो ये उसके लिए तबाही से कम नहीं होगा। जिन बच्चों ने परीक्षा दी है, उन्हें परेशानी में मत डालो।

छात्रों और अभिभावकों में थी नाराजगी

अचानक मॉडेरशन नीति को खत्म करने के फैसले पर नाराजगी जताते हुए छात्र और अभिभावक दोनों का कहना था कि अगर यह फैसला लेना ही था तो पहले ही इसकी सूचना दी जाती। परीक्षा शुरू होने के बाद यह फैसला क्यों लिया गया? हाईकोर्ट ने भी अभिभावकों की इस दलिल पर गौर किया और सीबीएसई से पूछा कि उन्होंने पहले ही मॉडरेशन नीति खत्म करने का फैसला क्यों नहीं लिया और नहीं लिया तो अब वह इस फैसले को अगले सत्र यानि 2017-18 से लागू क्यों नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि खेल शुरू होने के बाद उसके नियम में बदलाव नहीं किया जा सकता। बदलाव या तो खेल शुरू होने से पहले हो या तो खेल खत्म होने के बाद। आपको बता दें कि इस फैसले के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सीबीएसई चेयरमैन राकेश चुतर्वेदी को तलब भी किया गया है।

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