केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार पर मुकदमा चलाने की इजाज़त दे दी है। इसके साथ ही राजेंद्र के वीआरएस के आवेदन को भी गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। केन्द्र के इस फैसले से राजेंद्र के साथ केजरीवाल सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
राजेंद्र पर अपने नजदीकियों को ठेके दिलाने के मामले पर मुकदमा चलेगा। राजेंद्र दिल्ली सरकार में अपने पूर्व कार्यालय को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे है। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव पद पर भी काम किया है। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। सीबीआई ने दिसंबर 2016 में राजेंद्र तथा अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई ने गृह मंत्रालय से दिल्ली के पूर्व प्रधान सचिव पर चार्जशीट दाखिल करने के बाद उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। जिस पर अब गृह मंत्रालय ने अपनी अनुमति दे दी है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव ने भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई की ओर से उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किए जाने के एक महीने बाद ही वीआरएस मांगा था और आरोप लगाया था कि जांचकर्ताओं ने उन्हें बार-बार केजरीवाल को फंसाने के लिए कहा है। दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में राजेंद्र ने कहा कि जांच प्रणाली, प्रक्रिया, प्रोटोकॉल, पारदर्शिता, शिष्टता के मामले में उन्होंने कभी भी इस तरह से ‘उपेक्षा’ का सामना नहीं किया और ऐसा उन्होंने पहली बार अपने मामले में महसूस किया है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में चल रही सीबीआई जांच का हवाला देते हुए राजेन्द्र कुमार ने आरोप लगाया था कि “मुझे बार–बार कहा गया कि अगर मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसमें फंसाता हूं तो मुझे छोड़ दिया जाएगा।”
आपको बता दें कि सीबीआई ने पिछले महीने राजेन्द्र कुमार सहित आठ अन्य लोगों और इंडीवर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़े के मामले में आईपीसी की धारा तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत आरोप पत्र जारी किया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आरोपी व्यक्तियों ने आपराधिक साजिश की और 2007 से 2015 के बीच दिए गए ठेकों की वजह से दिल्ली सरकार को 12 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह भी आरोप लगाया कि ठेके देने के लिए अधिकारियों ने करोड़ो की रिश्वत ली है।