भारत के साथ तल्ख रिश्तों के बीच कनाडा ने 41 राजनयिक बुलाए वापिस, जानें इस फैसले का क्या होगा असर…

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खालिस्तानी आतंकी की हत्या पर चल रहे विवाद के बीच कनाडा ने आज भारत से 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया। कनाडा द्वारा ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि भारत सरकार इन राजनयिकों को मिलने वाली इम्युनिटी रद्द करने वाली थी। कनाडा ने कहा कि इम्युनिटी खोने से अधिकारियों को खतरा हो सकता है।

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि मौजूदा विवाद के बीच कई कनाडाई राजनयिकों और उनके परिवारों ने भारत छोड़ दिया है क्योंकि भारत उनकी राजनयिक इम्युनिटी को रद्द करना चाहता है। जोली ने कहा कि भारत में कनाडा के दूतावास और वाणिज्य दूतावासों को संभालने के लिए केवल 21 अधिकारी रह गए हैं।

कम राजनयिक कर्मचारियों के साथ भारत में कनाडा के कार्यालयों का कामकाज प्रभावित होगा और वीजा और इमिग्रेशन के लिए प्रक्रिया धीमी होगी। कनाडाई सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि इमिग्रेशन और वीज़ा मिलने पर गहरा असर होगा।

कनाडा ने भारत की यात्रा करने वाले नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें उनसे सावधानी बरतने का आग्रह किया गया है। कनाडा ने मुंबई, बेंगलुरु और चंडीगढ़ में अपने वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं को रोक दिया है। जिन लोगों को कांसुलर सहायता की आवश्यकता है, उनसे नई दिल्ली में दूतावास का दौरा करने या फोन या ईमेल द्वारा संपर्क करने का आग्रह किया गया है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष कनाडा में स्थायी निवासियों, अस्थायी विदेशी कामगारों और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के मामले भारत शीर्ष पर था। कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने आश्वासन दिया है कि वे भारतीयों का स्वागत करना जारी रखेंगे, लेकिन वीज़ा प्रक्रिया में अधिक समय लगेगा।

कनाडा के एक अधिकारी का कहना है कि कर्मचारियों में कटौती का मतलब दिसंबर के अंत तक 17,500 आवेदनों का बैकलॉग होगा। हालांकि उम्मीद है कि 2024 की शुरुआत तक प्रक्रिया सामान्य हो जाएगी।

मालूम हो कि भारत और कनाडा के बीच उस समय तनाव बढ़ गया जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत शामिल था। निज्जर, जिसे भारत ने 2020 में आतंकवादी घोषित किया था, की 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

ट्रूडो की टिप्पणी से कूटनीतिक भूचाल आ गया था और भारत ने आरोपों को “बेतुका” बताया था। इसके बाद दोनों पक्षों ने वरिष्ठ राजनयिकों को निकाल दिया और ट्रेवल एजवाइजरी जारी की थी।

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