विपक्षियों का जैसा अनुमान, बीजेपी के शासन में हो भी वैसा रहा है। त्रिपुरा में सरकार बनते ही दूसरी विचारधारा की एक और मूर्ति ढहा दी गई। जी हां, त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद वहां हिंसा ने उग्र रुप ले लिया है। कई दुकानों में तोड़फोड़ और घरों में आग लगाने की खबरें सामने आ रही हैं। वामपंथी स्मारकों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं।  खबरों के मुताबिक,  बेलोनिया में स्थित रूसी क्रांतिकारी व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को गिराने के बाद त्रिपुरा के 13 जिलों में हिंसा फैल गई। मूर्ति गिराने के दौरान ‘भारत माता की जय’ के नारे भी लगाए जा रहे थे।

दक्षिणी त्रिपुरा में सोमवार को रूसी क्रांति के नायक रहे व्लादिमीर लेनिन की प्रतिमा गिरा दी गई। इस घटना के बाद राज्य के कई जिलों में हिंसा फैल गई। छिटपुट हिंसा की खबरों के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य के राज्यपाल और डीजीपी से बात की। राजनाथ सिंह ने नई सरकार के कामकाज संभालने तक राज्य में शांति सुनिश्चित करने को कहा। वहीं सीपीएम का आरोप है कि बीजेपी और IPFT के कार्यकर्ता हिंसा कर रहे हैं। सीपीएम का कहना है कि बीजेपी और IPFT कार्यकर्ता न सिर्फ वामपंथी पार्टी के दफ़्तरों को निशाना बना रहे हैं बल्कि उनके कार्यकर्ताओं पर भी हमले किए जा रहे हैं।

बता दें कि बीजेपी और आईपीएफटी ने त्रिपुरा में गठबंधन करते हुए ऐतिहासित जीत दर्ज की है। त्रिपुरा में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी तो वहीं 25 सालों से शासन कर रही वामदल भी अपनी कुर्सी नहीं बचा सकी। व्लादिमिर लेनिन की बात करें तो रूस के इतिहास में लेनिन का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। यहां तक कि विश्व की राजनीति को उन्होंने एक नया रंग दिया। रूस को क्रांति को रास्ता दिखाकर सत्ता तक पहुंचाने में व्लादिमीर लेनिन का अहम योगदान था। लेनिन ने बतलाया था कि मजदूरों का अधिनायकतंत्र वास्तव में अधिकांश जनता के लिए सच्चा लोकतंत्र है। उनका मुख्य काम दबाव या जोर जबरदस्ती नहीं बल्कि संघटनात्मक और शिक्षण संबंधी कार्य है।

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