उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित योगी सरकार को विपक्षी दलों के साथसाथ अपनों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर सदर विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल के बाद बलिया के बैरिया क्षेत्र से विधायक सुरेन्द्र सिंह ने भी अब योगी सरकार और उनके अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा शुरू कर दिया है। उन्होंने 10 हजार लोगों के साथ मानव श्रृंखला बनाकर सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार और लालफीताशाही के खिलाफ प्रदर्शन किया।

दरअसल बैरिया विधानसभा के लगभग डेढ़ लाख लोग हर साल गंगा और घाघरा नदी के बाढ़ से प्रभावित होते हैं। बरसात के दिनों में यह दोनों नदियां पूरे क्षेत्र में भीषण तबाही मचाती हैं जिससे पशु,कृषि और संपत्ति तीनों का अधिकाधिक नुकसान होता है। लोग इस समय भारी मात्रा में क्षेत्र से पलायन भी कर जाते हैं और सरकारें युद्ध स्तर पर राहत कार्य शुरू कर देती हैं। नदियों और बाधों पर कटानरोधी कार्य भी तभी शुरू होते हैं जिनको मानसून से पहले ही ठीक कर लेना चाहिए।

पहली बार विधायक बने सुरेन्द्र सिंह के अनुसार इस बार भी सिंचाई विभाग को लगभग 25 करोड़ रुपये की कार्ययोजना को मंजूरी मिल गई है पर अधिकारीयों ने अभी तक कार्य नहीं शुरू किया है। इस बाबत वह जिले के सभी अधिकारीयों से लेकर, सिंचाई मंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिल चुके हैं। परन्तु सब जगह से आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला है। सरकार तो बदली है पर अधिकारियों की कार्य संस्कृति अब भी उसी ढर्रे पर चल रही है।

BJP MLA's protest against his own government and system - 1इस लालफीताशाही के खिलाफ सुरेन्द्र सिंह ने अब मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने लगभग 10000 लोगों के साथ 6 किलोमीटर लम्बी मानव श्रृंखला बनाकर बलिया-बैरिया राजमार्ग पर मार्च किया, जिनमें अधिकतर महिलाएं थी। उन्होंने एक सप्ताह के भीतर कार्य न शुरू होने की स्थिति में आमरण अनशन की भी धमकी दी। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान विधायक ने जिला प्रशासन और बाढ़ विभाग के अधिकारियों को चेताते हुए कहा कि कटानरोधी बचाव कार्य में अब उनकी मनमानी नहीं चलेगी। जनहित के लिये शासन से आये धन की लूट-खसोट और लेट-लतीफी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारी मानसून का इंतजार कर रहे हैं ताकि कटानरोधी कार्य के लिए आये 29 करोड़ रुपये का बंदरबांट हो सके। विधायक ने लोगों को विश्वास दिलाया कि अब एक भी मकान नदी में विलीन नहीं होने दिया जायेगा, चाहे इसके लिये उन्हें अपने पद और प्राणों की आहुति ही क्यों न देनी पड़े।

गौरतलब है कि इस बार विधायक ने क्षेत्रीय लोगों से बाढ़ आने से पहले ही काम शुरू कराने का भरोसा दिलाया था। चुनाव के दौरान उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसका वादा भी किया था। उन्होंने कहा था कि हर हाल में मई के पहले सप्ताह में काम शुरू करा दिया जाएगा, पर विभागीय अधिकारियों से बातचीत के बाद भी ऐसा सम्भव नहीं हो सका।

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