मिशन 2019 में जुटे अमित शाह एंड टीम के माथे पर शिकन है। ऐसा देश को पीएम देने में सबसे बड़ी दावेदारी रखने वाले यूपी में भगवा पार्टी का हालिया प्रदर्शन है। जहां विपक्षी एकता ने उसकी हालत खस्ता कर रखी है। ऐसे में बीजेपी बखूबी जानती है कि, वह साल 2019 में 2014 दोहराने का माद्दा नहीं रखती। इसके लिए अभी से कवायदों और नये समीकरण तलाशने का दौर जारी है। बीजेपी को राम मंदिर और गंगा की याद सताती दिख रही है। योगी आदित्यनाथ का अयोध्या में बयान उसका सबूत है। लेकिन कट्टर हिंदूवादी छवि वाले योगी आदित्यनाथ विपक्षी चक्रव्यूह में फंसकर लगातार मिल रही हार से परेशान हैं। वहीं संघ भी मंथन में जुटा है। इसी को लेकर सीएम योगी की दिल्ली में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात हुई।
योगी आदित्यनाथ के लखनऊ पहुंचने पर संघ के सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने उनकी क्लास ली। सीएम के साथ दोनों डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश बीजेपी प्रभारी सुनील बंसल और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे भी थे। लेकिन बैठक में फटकार लगी या पुचकार किसी ने बताना उचित नहीं समझा। सपा-बसपा एकता की काट के लिए दिल्ली से सटे सूरजकुंड में बीते 15 जून से लेकर तीन दिनों तक संघ और बीजेपी के संगठन मंत्रियों ने मंथन बैठक की। संघ को मालूम है कि, मिशन 2019 को कामयाब बनाने के लिए बड़ी कड़ी मेहनत करनी होगी। ऐसे में बीजेपी को राम मंदिर और गंगा में गंदगी की याद आ रही है।
मंगलवार को हरिद्वार में स्वामी अवधेशानंद के कनखल स्थित आश्रम में संतो की कोर कमेटी की बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की मुलाकात इसी तरफ इशारे करती है। ऐसे में 2019 के लिए बीजेपी को सियासी कामयाबी के भगवान राम और मां गंगा की जरुरत आन पड़ी है। वैसे बीजेपी नेता और यूपी के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा इससे इनकार करते हैं।
बीजेपी नेता भले इससे इनकार करें लेकिन उसके सहयोगी दल अपना दल के विधायक आर के वर्मा इससे इत्तेफाक जरुर जताते हैं कि, बीजेपी 2019 में कामयाबी के लिए रणनीति बनाने में जुटी है।
जानकारों का भी मानना है कि, संघ की अति सक्रियता का बड़ा मतलब है। यूपी में भगवा के खिलाफ अखिलेश-मायावती और कांग्रेस लामबंद है। एंटी इन्कबेंसी फैक्टर के साथ-साथ अपनों की नाराजगी भी बीजेपी के लिए चुनौती बनेगी। ऐसे में संघ की चिंता जायज है।
यूपी में सपा-बसपा की नजदीकियों से बीजेपी के बुरे दिनों के संकेत तो है ही, ऐसे में कट्टर हिंदूवादी छवि वाले योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी चुनौती है। क्योंकि, सरकार के कई फैसलों पर अपने भी सवाल खड़े करते रहे हैं। बीजेपी के चाणक्य अमित शाह बेहतर जानते हैं कि 2019 में यूपी से क्या मिलनेवाला है। ऐसे में सवाल यही है कि, क्या 2019 के चुनाव में सीएम योगी को चेहरा बनाकर बीजेपी संभावित हार का ठीकरा योगी आदित्यनाथ के सिर फोड़ना चाहती है। यानि हार होने पर वही नपेंगे।