आनंद मोहन की रिहाई पर चुप क्यों है बीजेपी?

बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी आनंद मोहन के बेटे राजद विधायक चेतन आनंद की सगाई समारोह में शामिल हुए। नीतीश से लेकर तेजस्वी तक आनंद मोहन के साथ जश्न मनाते हुए दिखे थे।

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Bihar Politics: गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैया की हत्या के तीन दशक पुराने मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन , परोल पर जेल से बाहर हैं। मोहन के गुरुवार को 26 अन्य लोगों के साथ जेल से बाहर आने की संभावना है। इस बीच, बेटे की सगाई से लेकर जनेऊ तक आनंद मोहन कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। हालांकि, आनंद मोहन की रिहाई के बाद से बिहार सरकार के फैसले का विरोध किया जा रहा है, लेकिन विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मुद्दे पर बिल्कुल खामोश है।

Bihar Politics: साइलेंट मोड पर बीजेपी

बता दें कि नीतीश सरकार को हर मुद्दे पर घेरने वाली बीजेपी आनंद मोहन की रिहाई पर चुप्पी साधे हुए है। सियासी गलियारों में इसे वोट क की राजनीति बताई जा रही है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी कहीं न कहीं इस बात से डर रही है कि अगर आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल उठाया गया तो राजपूत वोटर 2024 के चुनाव से पहले नाराज हो सकते हैं। दरअसल,आनंद मोहन की राजपूतों में अच्छी पकड़ है। आनंद मोहन की रिहाई से महागठबंधन को काफी फायदा होने की संभावना है। कोसी बेल्ट में आनंद मोहन को एक फायर ब्रांड नेता के रूप में जाना जाता है। राजपूत समाज उनकी काफी इज्जत करता है। शायद अब तक इसी बात को ध्यान में रखकर बीजेपी चुप्पी साधे हुई है।

आनंद मोहन के लिए नीतीश सरकार ने बदला नियम

बता दें कि नीतीश सरकार आनंद मोहन की रिहाई के लिए जेल नियम में बदलाव किया है। राज्य के कानून विभाग ने सोमवार देर रात जारी एक अधिसूचना में मोहन सहित 27 लोगों को रिहा करने का आदेश दिया, जिनमें से सभी ने 14 साल या उससे अधिक समय जेल में बिताया है। ट्रायल कोर्ट ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के लिए मोहन को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

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मारे गए आईएएस अधिकारी की पत्नी ने जताई नाराजगी

बिहार सरकार के फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, मारे गए नौकरशाह की पत्नी ने मंगलवार को कहा कि राजनीतिक विचारों से इस तरह के फैसले नहीं होने चाहिए और अपराधियों को राजनीति में प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। 1994 में कृष्णैया की नृशंस हत्या के बारे में बात करते हुए, जी उमा कृष्णैया ने कहा कि उनके पति की हत्या बिना किसी गलती के की गई थी।

उन्होंने कहा, “यह (बिहार के) मुख्यमंत्री का एक बहुत ही गलत फैसला है। अच्छे लोगों को चुनाव लड़ने के लिए लिया जाना चाहिए, तभी अच्छी सरकार बनेगी। वहीं आईएएस एसोसिएशन ने भी नीतीश सरकार की खिंचाई की है।

सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ मोहन का संबंध

बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी आनंद मोहन के बेटे राजद विधायक चेतन आनंद की सगाई समारोह में शामिल हुए। नीतीश से लेकर तेजस्वी तक आनंद मोहन के साथ जश्न मनाते हुए दिखे थे। मोहन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया था। आनंद मोहन की रिहाई का आदेश जेल नियमों में संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी के बाद दिया गया है, जिसके तहत पहले सरकारी कर्मचारी की हत्या जैसे गंभीर मामलों में शामिल लोगों को 14 साल बीत जाने के बाद भी रिहा नहीं किया जा सकता था।

और किसे रिहा किया जा रहा है?

जिन 27 कैदियों को रिहा किया जाना है, उनमें मुख्यमंत्री की जद (यू) से जुड़े पूर्व विधायक अवधेश मंडल भी शामिल हैं। मंडल की पत्नी बीमा भारती जद (यू) की मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री हैं। वह फिलहाल भागलपुर जेल में बंद है।

कौन हैं आनंद मोहन?

आनंद मोहन बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के रहने वाले हैं। उनके दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. आनंद मोहन (Who is Anand Mohan) की राजनीति में एंट्री 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के दौरान हुई थी। आनंद मोहन ने महज 17 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था। जिसके बाद उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी। आपातकाल के दौरान पहली बार उन्हें दो साल की जेल हुई थी।

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