बिहार के चुनावी दंगल में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अभी रंग जमाया नहीं था कि दक्षिण भारत की दूसरी मुस्लिम पार्टी सत्ता की आग में कूद पड़ी। नाम है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की सियासी विंग सोशल  डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) बहती गंगा में हाथ धोने के लिए ये भी बीच धारा में उतर गए हैं। ऐसे में मुस्लिम कार्ड खेलने वाली पार्टियों के बीच सियासी जंग छिड़ गई है। बिहार की जनता किसको चाहती है इसका फैसला तो 10 नवंबर को ही होगा।

एसडीपीआई बिहार में जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव के अगुवाई में बनने वाले प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) का हिस्सा है, इसी पार्टी में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की पार्टी बीएमपी भी शामिल है।

तीन पार्टियों का गठबंधन

ALLIANCE

पप्पू यादव ने तीन छोटी पार्टियों को साथ लाकर बिहार मे दलित, मुस्लिम और यादव के वोट को बटोरने की सही रणनीति अपनाई है। मुस्लिम वोट को बटोरने के लिए असदुद्दीन ओवैसी भी पीछे नहीं रहे उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव की पार्टी समाजवादी जनता दल के साथ गठबंधन किया है, जिसे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक सेक्युलर एलायंस (यूडीएसए) का नाम दिया गया है।

AIMIM ने बटोरे थे 96,000 वोट

asaduddin owaisi

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 2015 में पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में अपने छह उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतरी थी। पर कुछ हाथ नहीं लगा लेकिन 96 हजार वोट को काटने में कामयाब रही। कोचा धामन सीट पर एआईएमआईएम 38 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर दूसरे नंबर रही थी। इसके अलावा बाकी सीटों पर कोई जलवा नहीं दिखा पाई, लेकिन बिहार में पिछले साल उपचुनाव में एआईएमआईएम खाता खोलने में कामयाब रही है। ऐसे में ओवैसी की पार्टी के हौसले बुलंद हैं और इस बार बिहार के चुनाव गठबंधन कर सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है।

SDPI की शुरूवात

SDPI

ओवैसी को बिहार में जमता देख एसडीपीआई ने भी कड़ी टक्कर देने का फैसला किया है। हालांकि, एसडीपीआई के साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम भी जुड़ा है। सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम तेजी से सामने आया था। दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक में पीएफआई का अच्छा खासा जनाधार है और अब उत्तर भारत में भी वो अपने पैर पसारने में जुटी है, जिसके चलते दिल्ली के बाद अब बिहार में चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

16 फीसदी मुस्लिम वोटर

बिहार में करीब 16 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। वहीं,  बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। इन इलाकों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 प्रतिशत या इससे भी अधिक है। बिहार की 11 सीटें हैं, जहां 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं और 7 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा हैं। इसके अलावा 29 विधानसभा सीटों पर 20 से 30 फीसदी के बीच मुस्लिम मतदाता हैं। मौजूदा समय में बिहार में 24 मुस्लिम विधायक हैं।

दोनों पार्टियों की नजर

दोनों ही पार्टियां यानी की AIMIM और SDPI की नजर 16 फीसदी वोटरों पर है। इन्हीं के भरोसे इन लोगों ने अपनी नैया को तुफान में उतारा है। अब तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा बिहार की जनता किस की नैया पार लगता है।

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