दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के चुनाव आयोग की ओर से अयोग्य घोषित 20 विधायकों की सदस्यता बहाल कर दी है। चुनाव आयोग की सिफारिश को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि विधायकों की याचिका पर दोबारा सुनवाई हो।

आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के चेहरे पर उस वक्त खुशी की लहर दौड़ गयी जब दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि अयोग्य घोषित किये गये विधायकों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाए। फैसले के दौरान करीब 15 अयोग्य विधायक कोर्ट में मौजूद थे।

उन्यासी पन्नों के फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की 19 जनवरी 2018 की सिफारिश विकृत है और कानून के हिसाब से बुरी है क्योंकि ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं करती। कोर्ट ने कहा कि इस आधार पर 19 जनवरी की सिफारिश को रद्द किया जाता है और इसी क्रम में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के उल्लंघन के लिए 20 जनवरी के आदेश को भी रद्द किया जाता है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वो विधायकों के तर्कों को सुने और फिर ये भी तय करे कि सरकार में लाभ के पद का क्या अर्थ है?  हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो राष्ट्रपति के पास भेजी गयी अपनी सिफारिश वापस मंगवाए और दोबारा सुनवाई करे।

आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्रशेखर की बेंच ने ये बड़ा फैसला सुनाया है। जनवरी में आप विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी इस मामले में फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था।  19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। उसी दिन AAP के कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here