स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक अथॉरिटी स्विस नैशनल बैंक के द्वारा जारी किए गए डाटा से पता चला है कि स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा रकम लगभग आधी हो गई है। 2016 में यह रकम 67.6 करोड़ स्विस फ्रैंक यानी करीब 4,500 करोड़ रुपये हो गई, जो कि पहले के मुकाबले लगभग आधी है। इसकी तुलना में दुनिया भर के लोगों की ओर से स्विस बैंकों में जमा की गई राशि का आंकड़ा बढ़ गया है।

कहा जा रहा है कि मोदी सरकार की ओर से काले धन पर लगातार किए जा रहे वार के चलते ऐसा संभव हो सका है। स्विस बैंकों में भारतीयों की ओर से जमा की गई राशि में आई यह गिरावट करीब 45 फीसदी है। इसे अब तक की सबसे बड़ी गिरावट माना जा रहा है। खास बात ये है कि भारतीय लोगों ने सीधे अपने नाम 66.5 करोड़ फ्रैंक स्विस बैंकों में जमा किए हैं, जबकि ट्रस्टों के नाम पर 1.1 करोड़ फ्रैंक जमा हैं। यह धनराशि पुरानी राशि के बराबर ही है।

एक दशक में सबसे बड़ी गिरावट

साल 2006 के आखिर में स्विस बैंक खातों में भारतीयों का सबसे ज्यादा धन स्विस बैंकों में था जो जमा कुल 23000 करोड़ रुपए थी।  एक दशक में ही यह रकम घटकर लगभग दसवां हिस्सा रह गई है।  हालांकि इसमें वह रकम भी शामिल नहीं है, जो कि भारतीयों और प्रवासी भारतीयों ने अलग-अलग देशों की कंपनियों के नाम से जमा करवा रखी है।

आधा हुआ स्विस बैंकों का मुनाफा

इतना ही नहीं, स्विट्जरलैंड के बैंकों का मुनाफा भी 2016 में करीब आधा घट गया है और 7.9 अरब स्विस फ्रैंक यानी करीब 53,000 करोड़ रुपए हो गया है। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार  261 पंजीकृत स्विस बैंकों में 226 ही मुनाफे में रह गई हैं। बैंकों की संख्या भी घटकर 266 से 261 पर आ गई है।

बता दे कि स्विट्जरलैंड सरकार ने कुछ वक्त पहले ही भारत व 40 अन्य देशों के साथ 2018 से उनके नागरिकों के खातों और काले धन से जुड़ी जानकारियों के स्वतः आदान-प्रदान की व्यवस्था को मंजूरी दी थी। वहीं भारत सरकार ने भी विदेशों में कालाधन रखने वालों के लिए आम माफी की योजना चलाई थी, जिससे काफी काला धन वापस देश में आया भी था।

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