केजरीवाल की Bank Notes पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की फोटो लगाने की मांग, जानिए भारत में नोटों के इतिहास के बारे में ओर क्यों नोटों पर गांधीजी की ही तस्वीर का होता है इस्तेमाल

2 अक्टूबर 1969 को महात्मा गांधी के 100वें जन्मदिन के अवसर पर पहली बार भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई थी. इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुआ दिखाया गया था और पीछे सेवाग्राम आश्रम छपा था. रिजर्व बैंक द्वारा 1972 में 20 रुपये और 1975 में 50 रुपये का Bank Notes जारी किया गया.

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केजरीवाल की Bank Notes पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की फोटो लगाने की मांग, जानिए भारत में नोटों के इतिहास के बारे में ओर क्यों नोटों पर गांधीजी की ही तस्वीर को होता है इस्तेमाल - APN News
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आज यानी 26 अक्टूबर 2022 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भारत में नोटों (Bank Notes) पर महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तस्वीर के साथ-साथ भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की फोटो लगाने की भी मांग कर दी है. आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल द्वारा दिए गए इस बयान को गुजरात चुनाव से पहले ‘हिंदुत्व कार्ड’ के तौर पर देखा जा रहा है.

क्या बोले केजरीवाल?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ‘अगर नोट पर एक तरफ गांधीजी की और दूसरी तरफ लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर होगी, तो इससे पूरे देश को उनका आशीर्वाद मिलेगा.’ केजरीवाल ने आगे कहा कि देश की अर्थव्यवस्था इस समय नाजुक दौर से गुजर रही है ओर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है, इसमें सुधार के लिए केंद्र सरकार बड़ा फैसला ले.

केजरीवाल ने नोटों पर गांधीजी के साथ-साथ गणेश-लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की मांग करते हुए कहा कि सारे नोट बदलने की जरूरत नहीं है, लेकिन जो नए नोट छपते हैं, उन पर ये शुरुआत की जा सकती है. केजरीवाल पहले नहीं हैं, जिन्होंने इस तरह की मांग की है.

नई नहीं है ये मांग

हालांकि केजरीवाल से पहले जनवरी 2020 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी नोटों पर देवी लक्ष्मी की तस्वीर छापने की मांग की थी. उस समय स्वामी ने कहा था कि भारतॉय करेंसी की हालत सुधारने के लिए धन की देवी लक्ष्मी की तस्वीर छापनी चाहिए.

Bank Notes पर गांधीजी की तस्वीर को लेकर गाहे-बगाहे सवाल उठते रहते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर हटा देनी चाहिए. वहीं कुछ कहते हैं कि महात्मा गांधी की तस्वीर हो, लेकिन बाकी नोटों पर दूसरे महापुरुषों की तस्वीर भी छपनी चाहिए. पिछले दिनो हुई अखिल भारतीय हिंदू महासभा की बैठक में भी मांग की गई थी कि नोटों पर महात्मा गांधी की जगह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छाप देनी चाहिए.

क्या नोटों पर हो सकती है दूसरे लोगों की तस्वीर?

अगर कोई कहे की नोटों से गाधीजी की तस्वीर को बदला जा सकता है तो इसका सीधा जवाब है- नहीं. हालांकि 1947 में मिली आजादी के बाद से कई सालों तक भारतीय करेंसी नोटों पर अशोक स्तंभ या अन्य प्रतीक चिन्हों की छपाई होती रही है. लेकिन 2 अक्टूबर 1969 को महात्मा गांधी के 100वें जन्मदिन के अवसर पर पहली बार भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई थी.

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नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर लगाने का फैसला इसलिए लिया गया था, क्योंकि उनकी स्वीकार्यता पूरे देश में थी. माना जाता है कि यदि गांधीजी की बजाय किसी दूसरे महापुरुष की तस्वीर को छापा जाता है तो इससे विवाद और विरोध हो सकता है. यही वजह थी कि नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापने का फैसला लिया गया.

क्या है सरकार का रूख?

नवंबर 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सांसद किर्ति आजाद के एक सवाल का जवाब देते हुए लोकसभा में बताया था कि “भारत सरकार की सलाह पर, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अक्टूबर, 2010 में भविष्य के मुद्रा नोटों को डिजाइन करने के लिए एक समिति का गठन किया था. समिति ने अन्य बातों के साथ-साथ महात्मा गांधी की मौजूदा तस्वीर को बदलने और समावेशन के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया. बैंक नोटों के नए डिजाइन में कुछ अन्य व्यक्तित्वों की तस्वीर को लेकर उचित विचार के बाद, समिति ने निर्णय लिया कि महात्मा गांधी से बेहतर कोई अन्य व्यक्तित्व भारत के लोकाचार का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है.“

वहीं इसी साल 6 जून 2022 को नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर हटाने की खबरों के बीच आरबीआई ने कहा था कि “मीडिया के कुछ वर्गों में ऐसी खबरें हैं कि आरबीआई महात्मा गांधी की तस्वीर को अन्य लोगों की तस्वीर से बदलकर मौजूदा मुद्रा और बैंक नोटों में बदलाव करने पर विचार कर रहा है. यहां ध्यान दिया जाना चाहिए कि रिजर्व बैंक में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.”

भारत में नोटों का इतिहास?

1950 तक भारत में रिजर्व बैंक द्वारा आजादी से पहले जारी किए गए करंसी नोट ही चलते रहे. भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, सरकार ने पहली बार 1949 में 1 रुपये के नोट का नया डिजाइन तैयार किया. हालांकि उस समय भारतीय नोटों पर भी ब्रिटेन के महाराजा की तस्वीर छपती थी. लेकिन काफी विचार विमर्श के बाद उस समय सहमति बनी कि ब्रिटेन के महाराज की जगह महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय नोटों पर छापी जानी चाहिए, लेकिन बाद में तय हुआ कि नोटों पर अशोक स्तंभ की तस्वीर छापी जाएगी.

रिजर्व बैंक द्वारा 1950 में पहली बार 2, 5, 10 और 100 रुपये के नोट छापे गए. इन सभी नोटों पर अशोक स्तंभ की तस्वीर छपी हुई थी. 1953 में जारी किए गए नोटों पर हिंदी को प्रमुखता के साथ छापा गया. इसके बाद सन 1954 में भारत ने एक हजार, दो हजार और 10 हजार रुपये के नोट जारी किए, लेकिन 1978 में इन्हें चलन से बाहर कर दिया गया.

1969 में पहली बार छपी थी गांधी की तस्वीर

2 अक्टूबर 1969 को महात्मा गांधी के 100वें जन्मदिन के अवसर पर पहली बार भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई थी. इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुआ दिखाया गया था और पीछे सेवाग्राम आश्रम छपा था. रिजर्व बैंक द्वारा 1972 में 20 रुपये और 1975 में 50 रुपये का नोट जारी किया गया.

इसके बाद 1980 के दशक में फिर नई सीरीज के नोट जारी किए गए ओर 1 रुपये के नोट पर तेल का कुंआ, 2 रुपये के नोट पर आर्यभट्ट (भारत का पहला उपग्रह) के उपग्रह की तस्वीर, 5 रुपये के नोट पर ट्रैक्टर से खेत जोतता हुआ किसान और 10 रुपये के नोट पर कोणार्क मंदिर का चक्र, मोर और शालीमार गार्डन छापे गए. इसी दौरान रिजर्व बैंक ने 500 रुपये का नोट जारी किया ओर इस पर भी महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई. वाटरमार्क में अशोक स्तंभ को रखा गया.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1996 में कई सारे सुरक्षा फीचर्स के साथ ‘महात्मा गांधी सीरीज’ के नए करंसी नोट जारी किए. इसके साथ ही वाटरमार्क भी बदल दिए गए. इसी दौरान इसमें ऐसा फीचर भी जोड़ दिया गया, जिससे नेत्रहीन भी नोट को आसानी से पहचान सकें.

देश में लोगों का बढ़ती आमदनी के मद्देनजर 9 अक्टूबर 2000 को आरबीआई ने एक हजार रुपये का नोट जारी किया. वहीं, 8 नवंबर 2016 को की गई नोटबंदी में महात्मा गांधी सीरीज के 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिए गए. इसके बाद 2 हजार रुपये का नया नोट जारी किया गया. इसमें भी गांधीजी की तस्वीर छापी गई. भारतीय नोटों पर छपने वाली महात्मा गांधी की ये तस्वीर 1946 में खींची गई थी. ये तस्वीर उस समय ली गई थी, जब महात्मा गांधी लॉर्ड फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस विक्ट्री हाउस में आए थे.

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