प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन पर उनके अधिकारी और मातहत ही पानी फेरने पर लगे है। प्रधानमंत्री का लक्ष्य है कि हम पूरे भारत को खुले में शौच मुक्त कर दे। जिसके तहत ताबड़तोड़ शौचालयों का निर्माण भी कराया जा रहा है।  शौचालयों के निर्माण में जमीनी स्तर पर खुलकर भ्रष्टाचार भी हो रहा है।  कुशीनगर में शौचालयों के निर्माण में जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार खुलकर हो रहा है।   पंचायत से लेकर विकासखंड और जिलास्तर पर खुलकर धांधली हो रही है।  हर जगह धन उगाही की जा रही है।

कुशीनगर में शौचालयों के निर्माण में भ्रष्टाचार

ग्राम प्रधान निम्न स्तर का काम करा रहे हैं तो विकास खंड के अधिकारी हर शौचालय के आईडी जनरेशन के नाम पर दो-दो हजार रुपये का कमीशन ले रहे हैं। सरकार शौचालय के निर्माण के लिए हर शौचालय के हिसाब से 12 हजार का भुगतान करती है लेकिन उसमे से दो हजार रुपये तो आईडी जनरेशन के नाम पर लेकर नीचे से ऊपर तक के अधिकारीयों में बांट लिया जाता है। मामला दुदही विकाश खंड के गांव दुबौली टोला का है। जहां राजेश कुमार कुशवाहा ने रेल हादसे में अपने दोनों पैर खो दिए। 2 महीने बाद अप्रैल में वो इलाज करा कर घर लौटे तो चलने फिरने अक्षम राजेश ने अपने ग्राम प्रधान सुरेन्द्र कुशवाहा से शौचालय निर्माण करवाने के लिए कहा कि कुछ ही दिनों बाद अप्रैल में ही उनके यहां शौचालय के निर्माण के लिए ईंट गिरा दिया गया। और शौचालय का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया।  गांव के कई और लोगों के यहां भी शौचालय बनवाने का काम शुरू किया गया लेकिन लगभग 2 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी उन सभी शौचालयों की केवल दिवार खड़ी करके छोड़ दिया गया है दो महीने से ज्यादा के समय में ना टंकी बनी है और नहीं उसमे सीट लगाई गई है और ना ही फर्श और टाइल्स लगाये गए है।  ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार की योजनाओं को उनके ही अधीन काम करने वाले अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं तो क्या जनता के पैसे का बंदरबाट नीचे से ऊपर हर स्तर पर किया जा रहा है ऐसे में जनता को सरकार की योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा।

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