साधु संतों की जानीमानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने मंगलवार को मंत्रिमंडल की हुई बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिये जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी है। महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने गत शनिवार को यहां “मार्गदर्शक मण्डल” की बैठक में इलाहाबाद को नाम “प्रयागराज” किये जाने की घोषणा की थी। मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दे दी है। इलाहाबाद को अब प्रयागराज के नाम से जाना जायेगा। उन्होने कहा कि “प्रयागराज” दिना जाना करोड़ो लोगों की भावनाओं का सम्मान है।

इस बहुप्रतीक्षित मांग के पूरा होने से केवल संत समाज ही नहीं अपितु देश के करोड़ो लोगों की भावना का सम्मान है। महंत ने कहा है कि गंगा, श्यामल यमुना और पौराणिक सरस्वती के त्रिवेणी के तट पर समय के साक्षी रहे अक्षयवट के लिए ” प्रयागराज” कभी भी इलाहाबाद नहीं रहा। प्रत्येक वर्ष श्रद्धा और आस्था के आवेग में उमड़ने वाली करोड़ों की भीड़ के लिए यह प्रयाग ही रहा। उन्होंने बताया कि सदियों का लम्बा सफर तय करने के बाद प्रयागराज को अन्तत: उसका पुराना नाम मिल गया। इसके लिए योगी सरकार बधाई के पात्र है। पूरा संत समाज उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।

महंत ने कहा कि प्रयागराज से गौरव का बोध होता है। नाम बदलने से इसकी प्रतिष्ठा पर कोई असर नहीं आया था लेकिन अब यह गौरव बोध बढ़ जायेगा। इसे तीर्थों के राजा की उपाधि ” तीर्थराज प्रयाग” कहा गया है। वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथो में भी प्रयाग का ही वर्णन मिलता है।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केंद्र के आचार्य डॉ. आत्माराम गौतम ने कहा कि यह काम केवल संत या योगी ही कर सकता था। उन्होंने कहा कि सतत आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह वाली नगरी को एक योगी ने उसका पुराना नाम “प्रयाग राज” शीघ्र वापस कराने का कार्य किया, वह अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि हिमालय से निकलने वाली दो नदियां (गंगा और यमुना) का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है। ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जाना न्यायसंगत है। श्री योगी ने संतो की बहुप्रतीक्षित मांग पूरा कर एक महान कार्य किया है।

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