केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया की बिक्री की योजना फिलहाल टाल दी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि इस चुनावी साल में सरकार एयर इंडिया को परिचालन के लिए जरूरी फंड मुहैया कराएगी। एअर इंडिया को जल्द अपने रोजाना के परिचालन के लिए सरकार से कोष मिलेगा। यही नहीं वह एक-दो विमानों की खरीद के लिए ऑर्डर भी दे सकेगी।

बता दें कि सरकार ने कर्ज के बोझ से दबी एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी की रणनीति बिक्री का फैसला किया था। सरकार को एयर इंडिया की हिस्सेदारी बिक्री के लिए कोई बोली नहीं मिली थी। करीब तीन सप्ताह पहले एयरलाइन के लिए बोली लगाने की समयसीमा समाप्त हो गई।

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में सोमवार को एयर इंडिया के भविष्य पर बैठक हुई थी। इस बैठक में अस्थायी रूप से वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल, नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अलावा वित्त और नगर विमानन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

अधिकारी ने एजेंसी से कहा कि एयरलाइन को परिचालन लाभ हो रहा है। कोई भी उड़ान खाली नहीं जा रही है। लागत दक्ष व्यवस्था के जरिये हम परिचालन दक्षता में सुधार करते रहेंगे। ऐसे में एयरलाइन की बिक्री को कोई हड़बड़ी नहीं है। एक सूत्र ने बताया कि सरकार एयर इंडिया के पुनरोद्धार के जरिये उसके कुल लाभ की स्थिति में लाने की कोशिश कर रही है, जिसे इसे सूचीबद्ध कराया जा सके।

बता दें कि जून 2017 को सरकार ने एअर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि एअर इंडिया के विनिवेश के लिए बोली लगाई जाएगी। इसके लिए सरकार ने बाकायदा अर्नेस्ट एंड यंग को ट्रांजेक्शन एडवायजर के तौर पर नियुक्त किया है।

केंद्र सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद से ही एयर इंडिया को बेचे जाने की कवायद चल रही थी। इससे पहले इसी साल जनवरी में सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया में एफडीआई को मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को बेचने की योजना तैयार कर ली थी।

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