देश में विशेष राज्य दर्जा मामला गरमाता जा रहा है। हालत ये है कि एऩडीए की गठबंधन सरकारों में ही इसको लेकर आपस में टकरार है। एकतरफ जहां आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर गरमाई सियासत के बीच मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री से 29 बार मिलने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं किए जाने पर निराशा जताते हुए मोदी सरकार से तेलुगु देशम पार्टी (तेदपा) के अलग होने को फैसले को सही करार दिया है। वहीं दूसरी तरफ बिहार में नीतीश कुमार के एक मंत्री ने भी इस तरह की मांग उठाई है। नीतीश सरकार में मंत्री माहेश्वर हजारी ने बिहार को भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई है।

मंत्री माहेश्वर हजारी ने कहा कि बिहार को भी विशेष दर्जा मिलना जरूरी है। ये मांग काफी लंबे समय से उठ रही है। इस मुद्दे को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सकते हैं। बता दें कि इससे पहले भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग हो चुकी है। जब इससे पहले बिहार में ये मांग उठी तो नीतीश कुमार ने भी इस मांग को सही ठहराया था। इक्कीसवीं शताब्दी के शुरूआत में उन्होंने कहा था कि बिहार की आबादी देश का 8.2 प्रतिशत है, जब कि सकल घरेलु उत्पाद में उसका योगदान मात्र 2.7 प्रतिशत है। यहां ये भी बता दें कि विशेष राज्य को 90 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान प्राप्त होता है और बाकी 10 प्रतिशत ब्याजमुक्त कर्ज के रूप में। अन्य राज्यों को केंद्र से मात्र 70 प्रतिशत अनुदान मिलता है। विशेष राज्य को उत्पाद शुल्क में भी रियायत दी जाती है, ताकि उद्योगपति वहां अपनी औद्योगिक इकाइयां स्थापित करें।

राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने के पीछे मुख्य मुद्दा है उनका पिछड़ापन और क्षेत्रीय असंतुलन दूर करना, जो केंद्र की संवैधानिक जिम्मेदारी है। लेकिन सभी पिछड़े राज्यों को एक साथ विशेष राज्य का दर्जा मिलना असंभव है। इसलिए पिछड़ापन दूर करने के दूसरे उपायों पर भी विचार करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here