इजिप्ट की स्वेज नहर में पिछले एक हफ्ते से फसा एवरग्रीन का विशाल मालवाहक जहाज को सोमवार को फिर से चालू कर लिया गया है। मंगलवार से ही जहाज स्वेज नहर में फंसी हुई थी। बड़ी मशक्कत के बाद इसे स्थाई तौर पर निकाल लिया गया है। स्‍वेज नहर में सेवाएं देने वाली एक कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार अभी सिर्फ जहाज को आंशिक तौर पर दोबारा पानी की सतह पर लाने में कामयाबी मिली है। इसकी कोई जानकारी नहीं है कि जहाज कब तक पूरी तरह निकल सकेगा।

स्वेज नहर अथॉरिटी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ओसामा रबेई ने कहा कि, सोमवार की सुबह तक जहाज को निकालने का काम चलता रहा है। सैटेलाइट आंकड़ों के अनुसार, जहाज उसी स्थान पर फंसा है और उसे निकालने की कोशिश कर रहे कई टगबोट से घिरा हुआ है।  स्‍वेज नहर में सेवाएं देने वाली कंपनी लेथ एजेंसीज ने सोमवार सुबह बताया कि फंसे हुए जहाज को 10 टगबोट की मदद से निकालने के प्रयास में थोड़ी सफलता मिली है

आपको बता दें कि ये जापान की कंपनी Shoei Kisen KK नाम से पनामा में रजिस्‍टर्ड है और इसको एवरग्रीन मरीन कंपनी ऑपरेट करती है। मंगलवार को ये स्वेज नहर में फंस गई थी। जिसके कारण अलग-अलग शिप कंपनियों को रोजाना 900 करोड़ डॉलर का नुकसान सहन करना पड़ रहा था। नुकसान का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, वर्ष 2020 में इस नहर से 18500 जहाज (औसतन 52 जहाज हर रोज) गुजरे थे। ये रास्ता पिछले एक हफ्ते से बंद था। यानी कि, 52 हजार कंपनियां रोजाना घाटा झेल रही थी।

समुद्री मार्ग के जरिए हर रोज एक देश से दूसरे देश जहाज भेजने का काम किया जाता है। संभवत इस तरह की खबरे माह दर माह आती रहती हैं। लेकिन स्वेज नहर की काफी चर्चा हो रही है। इसके पीछे खास वजह ये है कि, स्वेज नहर 7,000 किमी की दूरी को महज 300 किमी में तबदील कर देता है। इससे जहाज समय से पहले अपनी मंजिल पर पहुंच जाती है। साथ ही जहाज कंपनियों का खर्च भी कम आता है। लेकिन एवरग्रीन जहाज 23 मार्च को इसमें तिरछा होकर फंस गया था। जिसके कारण बड़ी- बड़ी कंपनियों के हाथ पैर फूल गए थे वहीं जहाज के नहर में फंसने का असर पूरी दुनिया के बाजारों पर भी देखा गया है। खासतौर पर कच्‍चे तेल की आवाजाही पर पड़ा है। करीब एक सप्‍ताह से क्रुड ऑयल को दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में ले जाने वाले जहाज इसकी वजह से जहां के तहां रुक गए।

शिप को निकालने के लिए खुदाई की विशाल मशीनों की मदद से शिप के नीचे और आसपास की जगह से करीब 20 हजार टन रेत को निकाला गया। इसके बाद करीब 14 टग बोट की मदद से इस विशाल कंटेनर शिंप को सीधा किया गया और फिर खींचा गया। 

बर्नहार्ड शॉल्‍ट शिपमैनेजमेंट ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस शिप की वजह से नहर में किसी तरह का कोई प्रदुषण नहीं हुआ और न ही शिप को कोई नुकसान पहुंचा है। बयान में शिप के इस तरह से फंसने की वजह का तो खुलासा नहीं किया गया।

स्‍वेज नहर लाल सागर और भूमध्‍य सागर के बीच मौजूद एक सबसे छोटा जलमार्ग है। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ये मार्ग 7000 किमी की दूरी को महज 300 किमी में बदल देता है।

आपको बता दें कि इस नहर को 17 नवंबर 1869 को इस नहर को आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था। अगस्‍त 2014 में मिस्र की सरकार ने इसको और अधिक चौड़ा किया था जिसके बाद यहां से तेजी से जहाजों का निकलना सुनिश्चित हो सका था जिसे बाद में अगस्‍त 2015 में खोला गया था। इस पर करीब 60 बिलियन मिस्र पाउंड का खर्च आया था। हालांकि इसको आधिकरिक तौर पर 24 फरवरी 2016 को खोला गया था।

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