एक शख़्स ने रेलवे से ट्रेन में अपनी सीट न मिलने पर 75 हज़ार रुपए का मुआवजा वसूल लिया है।  दरअसल इस खबर को एक राष्ट्रीय अखबार ने अपने पहले पन्ने पर छापा है।  छपी हुई खबर के अनुसार यह मामला चार साल पुराना है। उपभोक्ता अदालत में चार साल तक इस केस को लड़ने के बाद दिल्ली के विजय कुमार ने केस जीत लिया और रेलवे से अपना हक न मिलने पर मुआवजा वसूल लिया है।

दरअसल मामला यह था कि चार साल पहले 30 मार्च को जब विजय कुमार दक्षिण एक्सप्रेस ट्रेन से विशाखापत्तनम से दिल्ली आ रहे थे।  तब उनकी सीट रिज़र्व होने पर भी उन्हें नहीं मिली थी।  उनकी सीट पर किसी ने यह कहते हुए कब्ज़ा कर लिया था कि उन्हें घुटनों के दर्द की बीमारी है।  फिर टीटी को शिकायत करने पर भी उन्हें जब अपनी सीट नहीं मिली तो उन्होंने इसकी शिकायत उपभोक्ता अदालत को कर दी। इसी अदालत ने चार साल बाद यह फैसला सुनाया है।

अपने फैसले में उपभोक्ता अदालत ने भारतीय रेलवे को , विजय कुमार को 75 हज़ार रुपए  मुआवजा देने का आदेश दिया है।  कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है  कि आरक्षित सीट उपलब्ध कराना टीटीई की ज़िम्मेदारी है, लेकिन वह इस काम में नाकाम रहे  इसलिए इस मुआवजे की एक तिहाई रकम टिकट चेकर (टीटीई) की तनख्वाह से काट कर विजय कुमार को मिलेगी।

विजय कुमार ने वैसे तो लंबी लड़ाई लड़ी है।  पर इससे उम्मीद यही है कि इस घटना से भारतीय रेलवे और उसके कर्मचारियों को जरूर कोई सीख मिलेगी।

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