उत्तरी कश्मीर के सुंबल बांदीपोरा में सीआरपीएफ के कैंप पर सोमवार सुबह आतंकी हमला हुआ जिसे सीआरपीएफ और पुलिस ने सफलतापूर्वक नाकाम करते हुए चारों आतंकियों को मार गिराया। यह कैंप उत्तरी कश्मीर में सीआरपीएफ के 45वें बटालियन का मुख्यालय है। वहीं जम्मू कश्मीर पुलिस ने अलगाववादियों की एक बैठक को नाकाम किया। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के मुखिया यासीन मलिक को हिरासत में लिया गया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतनी चाकचौबंद सुरक्षा के बाद भी आतंकी भारतीय सीमा में घुसने में कामयाब कैसे हो जाते हैं।

सोमवार 5 जून को एपीएन न्यूज के विशेष कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में कश्मीर के मसले पर चर्चा हई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन), प्रफुल्ल बख्शी (रक्षा विशेषज्ञ), कर्नल थापर (रक्षा विषेशज्ञ), हिलाल नकवी ( प्रवक्ता कांग्रेस), व हरीश श्रीवास्तव ( प्रवक्ता यूपी बीजेपी) शामिल थे।

प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि हमला होता है और हम जवाब देते हैं। गृहमंत्री को कई बार बोलते हुए सुना है कि देखिए हम पहले हमला नही करेंगे जब अटैक होगा तो हम जवाब देंगे। जब बात रक्षा मंत्री पर आ गई है तो मैनें एक बात नोटिस की है। जब रक्षा मंत्रालय की बात आती है तो सभी की नजरें नीचे होने लगती है। सब शरमा के कुछ सोचने लगते हैं। आपके पास रक्षा विशेषज्ञ हैं जो रक्षा मंत्रालय को संभाल सकते हैं वो अभी मंत्रालय में राज्य मंत्री है। नेहरु के समय से दिमाग में भर दिया गया था कि सेना को दूर रखिये। सेना वाला कोई रक्षा मंत्रालय में आ गया तो आपकी लोकतंत्र की अहमियत कम हो जायेगी।

कर्नल थापर ने कहा कि नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है। आप 70 साल से धैर्य धारण किये हुए है और कितना इसको खीचेंगे। इसकी एक सीमा तो होगी। सरकार कुछ फैसले ले रही है जिसमें बिल्कुल भी शक नही है कि जवाबी कार्रवाई के मूड में रखेंगे।

हिलाल नकवी ने कहा कि बेशक हम सेना के जवान को बधाई देना चाहेंगे कि जो सशक्त हमला होना था उसका मुहतोड़ जवाब दिया और निश्चित रुप से बड़ी कामयाबी मिली है। जिस तरह से वक्त गुजर रहा है भारत के ऊपर लगातार हमले हो रहे हैं। लगातार सीज फायर का उल्लंघन हो रहा है। लगातार उरी और पठानकोट जैसे हमले हो रहे हैं और हम सिर्फ उन हमलों पर जवाबी कार्यवाई कर रहे हैं। हर जगह देख रहे हैं कि जो हमारी नीति है वो क्रिया के बाद प्रतिक्रिया की तरह हो गई है। ये कोई निश्चित समाधान भी नही है कि हम पर हमला हो रहा है और हम उन पर जवाबी कार्यवाई कर रहे हैं। हमारी ये नीति नही होना चाहिए की हम पर हमला हो और हम उस पर कार्यवाई करें हमें कोशिश ये करनी चाहिए हमले हो ही नही।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि जहां तक पूर्व से ही सक्रिय होने की बात है और इधर कुछ महीनों में भारत सरकार का कश्मीर को लेकर और आतंकवाद को लेकर जो नजरिया है एक तकनीकि बदलाव आया है और अब ये नही कहा जाना चाहिए कि हम जवाबी कार्रवाई करते हैं बल्कि ये मानना चाहिए कि अब हम पहले से भी सक्रिय मुद्रा में आ गये हैं। हालांकि अभी भी बहुत सी कमियां है बहुत सी खामियां है। कल की घटना में ये ठीक है कि हमने उनको मार गिराया। उनको कुछ करने का मौका नही दिया। लेकिन फिर भी सवाल ये है कि वहां तक पहुंचे कैसे? अगर वो विदेशी हमलावर थे तो उनको यहां तक पहुंचने में भी सफलता नही मिलनी चाहिए थी।

हरीश श्रीवास्तव ने कहा कि निश्चित रुप से सभी इस बात से सहमत होगें कि कश्मीर में जिस तरह के मुश्किल माहौल है और जिस तरह से लगातार पाकिस्तान और आईएसआई की बदमाशियां हैं जो वो अपनी हरकतों से बाज नही आते उसमे तो सक्रिय होने और न होने की बात नही है। भारत हमेशा इन सब चीजों को दरकिनार करता है कि युद्ध के माहौल ना बने। भारत ये चाहता है कि दोनों देशों में शांति का माहौल बना रहे। इसमें भारत धैर्य की सीमा तक अपने आपको रोक कर रखता है।

देश भर में किसानों का आंदोलन

मुद्दा के दूसरे हिस्से में किसानों द्वारा किये जा रहे आंदोलन पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू, हरीष श्रीवास्तव, हिलाल नकवी, व अनिल दुबे (प्रवक्ता आरएलडी) शामिल थे।

मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन हिंसक हो गया है। इस दौरान पुलिस पर हमला किया गया। रतलाम में पथराव से एक एएसआई की आंख फूट गई। सीहोर में सीएसपी, दो टीआई समेत 11 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। जगह-जगह तोड़-फोड़ की गई। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वार्ता के बाद किसानों के एक धड़े ने हड़ताल वापस ले ली है लेकिन दो अन्य संगठनों, किसान यूनियन और किसान मजदूर संघ ने हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है। कुछ ऐसा ही महाराष्ट्र में भी देखने को मिला जिसके चलते जरूरी वस्तुओं के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। यूपी में किसानों की कर्जमाफी के बाद बाकि राज्यों के किसानों को लगा कि अगर यूपी के किसानों का कर्ज माफ हो सकता है तो हमारे यहां क्यों नही हो सकता।

हरीष श्रीवास्तव ने कहा कि जहां तक मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों के आंदोलन की बात है जिस प्रकार से यूपी के मुख्यमंत्री ने किसानों के कर्जे माफ किये तो उनको भी लगता होगा कि अगर आंदोलन करेगें के उनका भी कर्ज माफ हो जायेगा। इस मानसिकता के कारण महाराष्ट्र के किसान आंदोलन कर रहे हैं। हर राज्य की अपनी सीमायें है उनके अपने संसाधन है। उनकी जरुरत भी हो सकती है। महाराष्ट्र की क्या नीति है किसानों की कर्जमाफी को लेकर के क्या श्रोत हैं। उसके आधार पर सरकार निर्णय लेती है।

अनिल दुबे ने कहा कि किसान की जरुरत होती है किसान को जब जरुरत हुई तब वो आंदोलन किया। ठीक है कर्जमाफी का फैसला प्रदेश सरकार का विषय है लेकिन प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है और दिल्ली में भी भाजपा की सरकार है। आपकी नीतियों और कार्यक्रमों में कहीं न कहीं दोहरापन है जो बात आपने घोषणा की थी और जो काम आप कर रहे हैं उनमे अंतर है। किसान को और किसान के दर्द को आप समझना नही चाहते।

हिलाल नकवी ने कहा कि एक बात बड़ी स्पष्ट है कि जिस तरह से पूरे देश में हर जगह किसान आंदोलित है। किसान जो है वो परेशान है मजबूर होकर उसको ये रास्ता अपनाना पड़ता है। यूपी में कर्जमाफी की घोषणा कर दी गई है नोटिफिकेशन अभी तक जारी नही हुआ है। किसान का जो लोन है उस पर ब्याज चढ़ता चला जा रहा है। उस पर कोई रोक नही लगाई गई है। क्या घोषणा कर देने से कर्ज माफ हो जायेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here