आईआईटी कानपुर प्रशासन ने रैगिंग के खिलाफ बेहद ही सख्त रवैया अपनाया है। प्रशासन ने रैगिंग के एक मामले में 22 छात्रों को दोषी करार देते हुए निलंबित कर दिया। संस्थान ने 16 छात्रों को 3 साल और 6 छात्रों को एक साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। संस्थान की सीनेट ने यह फैसला किया कि निलंबित हुए छात्र संस्थान में वापस तभी पढ़ाई के लिए लौट सकेंगे जब उनका निलंबन समाप्त हो जाएगा।

आईआईटी कानपुर के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि रैगिंग में दोषी पाए गए 16 बच्चों को 3 साल तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया है और 6 बच्चों को एक साल तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि, यह सब बच्चे रैगिंग में दोषी पाए गए थे इसलिए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया  है। संस्थान ने पुलिस में शिकायत दर्ज इसलिए नहीं करवाई ताकि उनके भविष्य पर बुरा प्रभाव न पड़े।

संस्थान में रैगिंग का यह मामला 19 और 20 अगस्त की रात का है। जूनियर छात्रों ने सीनियर छात्रों पर आरोप लगाया था कि उन्हें अश्लील हरकतें करने के लिए मजबूर किया गया। जानकारी के मुताबिक कहा जा रहा है कि उन्हें गालियां और कुछ छात्रों की पिटाई भी गई।

इसके बाद जूनियर छात्रों ने प्रशासन से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। संस्थान के एक प्रोफेसर ने इस घटना को लेकर एक ब्लॉग भी लिखा था। इसके बाद प्रशासन मामले को दबा नहीं सका और उसे कार्रवाई करनी पड़ी।

संस्थान की जांच समिति ने आरोपों को सही पाया और सभी 22 आरोपियों को निलंबित करने की सिफारिश की, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि निलंबित छात्रों ने जांच कमेटी के सामने अपनी बात रखी थी, लेकिन इनका पक्ष आईआईटी प्रशासन के सामने गलत साबित हुआ।

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