पूरी दुनिया में एशियाई शेर सिर्फ गुजरात के गिर वन में पाए जाते हैं। अमरेली जिले में गिर में एक के बाद कई शेरों की मौत ने वन प्रशासन को हिलाकर रख दिया है।

गुजरात के अमरेली जिले में गिर वन के दलखनिया रेंज से बचाए गए 10 शेरों की जसधर पशु देखभाल केंद्र में उपचार के दौरान मौत हो गई। इससे पहले 11 शेर अपनी जान गंवा चुके थे। गुजरात वन विभाग ने सोमवार को यह जानकारी दी।

एशिया में शेरों की इस एकमात्र ठिकाने में 20 से 30 सितंबर के बीच एक के बाद एक कर शेर मरते गए हैं, जिससे वन्य जीव प्रेमी सकते में हैं। 12 सितंबर के बाद से मरने वाले शेरों की कुल संख्या 21 हो गई है। इससे पहले 12 से 19 सितंबर के बीच दलखनिया में 11 शेर अपने शावकों समेत मृत पाए गए थे।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी पुणे की रिपोर्ट में इनमें से चार में वायरस और छह में प्रोटोजोआ संबंधी संक्रमण पाया गया। एहतियात के तौर पर 31 शेरों को जामवाला के पशु चिकित्सा केंद्र की निगरानी में रखा गया है।

यह जानलेवा वायरस कुत्तों से जंगली जानवरों में फैला है। इस वायरस ने साल 1994 में तंजानिया के सेरेंगेटी रिजर्व में करीब 1000 शेरों का सफाया कर दिया था।

इसके लिए बरेली के वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, इटावा के बाघ सफारी और दिल्ली जू के विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं। एहतियात के तौर पर अमेरिका से कुछ टीके मंगाए जा रहे हैं।

राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के तीन जिलों गिर सोमनाथ, अमरेली और जूनागढ़ में 1800 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले गिर वन में 2015 में 523 शेर थे। 2010 की यह आंकड़ा 411 था। यानी पांच साल में इनमें करीब 27% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

पिछले दिनों गिर के जंगलों में दो साल में 184 शेरों की मौत की रिपोर्ट आई थी। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए रिपोर्ट तलब की थी।

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