मनी लॉंड्रिंग को लेकर सरकार हमेशा से कई फैसले लेती आई है। इसी के साथ सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए देश की तकरीबन दो लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का फैसला लिया है। इन कंपनियों का पंजीकरण इसलिए रद्द किया गया है क्योंकि इनमें कई समय से किसी भी तरीके का व्यापारिक कारोबार नहीं हुआ है।

सरकार ने आशंका जताई है कि ऐसी कंपनियों की मदद से काले धन को सफेद किया जाता है। इसलिए सरकार ने देश में फैली दो लाख कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए यह सवाल पूछा है कि इतने लंबे समय से उनमें कोई ऑपरेशन या व्यावसायिक कार्य क्यों नहीं हो रहा है।कंपनियों को ये नोटिस एक्ट की धारा 248 के तहत जारी किए गए हैं। इसका क्रियान्वयन मंत्रालय करता है। यह धारा कुछ खास कारणों के आधार पर कंपनियों का पंजीकरण रद करने से जुड़ी है मुखौटा कंपनियों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की मुहिम के रफ्तार पकड़ते ही कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा यह कदम उठाया गया है। इस नोटिस के जारी होते ही इन सभा कंपनियों पर आफत बन आई है क्योंकि इन्हें जल्द से जल्द अपनी स्थिती का विवरण देना होगा। इतना निश्चय है कि इन कंपनियों द्वारा सरकार को दिया गया जवाब अगर संतोषजनक नहीं हुआ, तो उनके नाम मंत्रालय द्वारा हटा दिए जाएंगे।

बता दें कि नियमों के अनुसार आरओसी किसी भी कंपनी से जांच पड़ताल कर सकता है कि क्या उसने पंजीकृत होने के एक साल के अंदर अपना व्यवसाय शुरू किया है या नहीं। इन्हीं नियमों के चलते आरओसी मुंबई ने 71,000 से ज्यादा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है वहीं आरओसी दिल्ली ने 53,000 से ज्यादा कंपनियों को नोटिस भेजे हैं। इनके साथ-साथ ऐसी कंपनियों को भी नोटिस जारी किया जाता है जिन्होंने लगभग दो वर्षो तक कोई व्यवसाय नहीं किया है। नोटिस मिलने के बाद कंपनियों को 30 दिन का समय मिलता है। देश में 15 लाख से ज्यादा पंजीकृत कंपनियां हैं। इस महीने के शुरूआत में ही मंत्रालय ने कंपनी नियमों में बदलाव किए हैं।

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