2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब ‘घर वापसी’ का मुद्दा काफी प्रचलित हुआ था। उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री, तत्कालीन सांसद और फायरब्रांड हिन्दू नेता योगी आदित्यनाथ ने भी घर वापसी का समर्थन करते हुए हिन्दू धर्म छोड़ चुके मुस्लिम,बौद्ध और ईसाई लोगों को फिर से हिन्दू धर्म में शामिल होने का आह्वान किया था। पर अपने ही मुख्यमंत्रित्व काल में ही योगी लोगों को हिन्दू धर्म छोड़कर जाने से नहीं रोक पा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस ‘घर निकासी’ की जिम्मेदारी भी योगी शासन और प्रशासन पर ही लग रही है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से ऐसा ही एक मामला सामने आ रहा है, जहाँ के 5 गांवों के 180 दलित परिवारो ने प्रशसनिक और सामाजिक उत्पीड़न से तंग आकर हिन्दू धर्म छोड़ने का संकल्प लिया है। गांव रुपड़ी, कपूरपुर, ईघरी, उनाली और बाढ़ी माजरा के दलित परिवारों के अनेक लोग को मानकमऊ में स्थित बड़ी नहर के छठ पूजा घाट पर पहुंचे और अपने घर के देवी-देवताओं के चित्रों और प्रतिमाओं का विसर्जन बड़ी नहर में कर दिया। यहां पर उन्होंने शासन और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन भी किया।

यह मामला पिछले महीने हुए सहारनपुर हिंसा से जुड़ा हुआ हैं। दरअसल बीते महीने की 20 तारीख को जिले के दुधना क्षेत्र में दलित समुदाय के लोगो ने ‘अम्बेडकर यात्रा’ निकाली थी। जुलुस के दौरान ही दलित और मुस्लिम समुदाय के लोगों में विवाद हो गया और दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ पथराव भी किया।  हिंसा के दौरान लोगों ने सरकारी सम्पत्ति और वाहनों में आग भी में लगा दिया।

इसके बाद 5 मई को बड़गांव क्षेत्र में महाराणा प्रताप की यात्रा निकालने को लेकर राजपूतों और दलितों में जमकर बवाल हुआ था, जिसमें दलितों के करीब तीन दर्जन घरों में आग लगा दी गई और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

उक्त दोनों घटनाओं को लेकर जब दलित युवकों का  संगठन  ‘भीम आर्मी सेना’  गांधी पार्क में धरना दे रहा था तो पुलिस प्रशासन ने इन लोगों पर लाठी चार्ज कर वहां से खदेड़ दिया। इसके बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने सहारनपुर शहर के कई जगहों पर जाम लगाते हुए प्रदर्शन और उपद्रव किया। उपद्रवियों ने पुलिस पर जमकर पथराव किया और सरकारी बस व मीडिया के भी दर्जनों वाहनों को फूंक दिया गया ।

उपद्रव की घटना पर सख्ती दिखाते हुए हुए पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई की और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं  सहित दोनों पक्षों के अनेक लोगो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।  वहीं भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर पर भी थाना सदर बाजार सहित कई थानों में मुकदमे दर्ज किए गए पर उनकी गिरफ्तारी नही हो सकी।

इस कड़ी कार्रवाई के खिलाफ दलित समाज आक्रोशित हो उठा और उन्होंने धर्म परिवर्तन का कदम उठा लिया। हालांकि पुलिस मौके पर पहुंची और उन्होंने दलित समाज के लोगो को मनाने की कोशिश की,पर बात नहीं बनी। दलित समाज का कहना है कि “भीम आर्मी और दलित समाज के लोगों के खिलाफ जो कार्रवाई हो रही है, उससे पूरे समाज में जबरदस्त आक्रोश और निराशा है। भीम आर्मी के लोगों और हमारे नेता चंद्रशेखर पर साजिश के तहत झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। दलित समाज के लोगों का लगातार उत्पीड़न हो रहा है। हमारी गिनती हिन्दुओं में होती है, लेकिन हमें कोई अधिकार और सुविधा नहीं मिलता।” गांव वालों ने पुलिस अधिकारियों को लिखित रुप से कहा कि दलित हिंदू धर्म में सुरक्षित नहीं हैं। उन्होनें प्रशासन को चेताते हुए कहा कि गर प्रशासन ने दंगे में आरोपी बनाए गये दलितों को जल्द नहीं छोड़ा तो जिले के सारे दलित बौद्ध धर्म अपना लेंगे।

वहीं प्रशासन का कहना है कि ग्रामीण ‘विक्टिम कार्ड’ खेल रहे हैं। क्षेत्र के एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे ने कहा कि जिन गांवों के लोगों ने यह प्रदर्शन किया है, इनके कुछ युवा पथराव और आगजनी के मुकदमे में नामजद हैं। उनकी गिरफ्तारी न हो इसलिए उन्होंने मामले को मोड़ने के लिए यह असफल प्रयास किया है। लेकिन सहारनपुर का माहौल बिगाड़ने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और किसी भी अनुचित दबाव से पुलिस कार्रवाई प्रभावित नहीं होगी। एसएसपी ने जोर देकर कहा कि किसी के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है हम कानून के आधार पर ही कार्रवाई कर रहे है।

हालांकि इस मामले में राजनीति से भी नहीं इंकार किया जा सकता। सपा, कांग्रेस,बसपा और रालोद के अनेक स्थानीय नेता दलितों के घर पहुंचकर अपने को दलितों के पक्ष में खड़ा कर रहे हैं और योगी सरकार के खिलाफ दलितों को लामबंद कर रहे हैं। वहीं जिले के अनेक लोगों का मानना है कि यह राजनीति के चक्कर में धर्म को बदनाम करने की साजिश है।

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