फिल्म मुगल ए आजम सिने जगत की ऐतिहासिक फिल्म है जिसे बनने में कुल 16 साल लगे थे । इसे बनाने वाले थे के आसिफ। इससे जुड़े हुए कई किस्से है। के आसिफ के बारे में कहा जाता है कि ये वो शख्स थे जिसे भगवान ने सिर्फ ‘मुगल-ए-आजम’ बनाने के लिए धरती पर भेजा था। ये महान फिल्म 5 अगस्त, 1960 को रिलीज हुई थी। यह फिल्म की चर्चा भारत के सिनेमा इतिहास में सुनहरे अक्षरों में होती है। इससे जुड़े कई दिलचस्प किस्से हैं…
जब लच्छू महाराज रोने लगे
सब जानते हैं कि मुगल-ए-आजम’ का म्यूजिक नौशाद ने कंपोज किया था। जब आसिफ ‘मोहे पनघट पर नंदलाल छेड़ गयो रे’ गाना लेकर नौशाद के पास गए, तो बस इतना ही बोले, ‘क्लासिक होना चाहिए ये’. नौशाद ने जवाब किया, ‘कोशिश करेंगे’। नौशाद की कोशिश इतना रंग लाई कि आसिफ को कहना पड़ा, ‘अहा! फर्स्ट क्लास।’ जब आसिफ को गाना जंच गया, तो नौशाद ने उनसे कहा, ‘इसमें कोई फिल्मी डांस मास्टर मत लीजिएगा।’। फिर इस गाने की कोरियोग्राफी के लिए नौशाद लच्छू महाराज को आसिफ के पास ले गए। गाना सुनकर लच्छू महाराज रोने लगे। तब आसिफ ने नौशाद को किनारे लेकर कहा, ‘अमां वल्लाह ये क्या ड्रामा है। ये डांस का गाना है और ये बैठे रो रहे हैं’। इस पर नौशाद ने बताया, ‘वाजिद अली शाह के दरबार में इनके बाप जो थे, ये आस्ताई उनकी थी। आस्ताई उनकी ली है मैंने।’ इस पर आसिफ बच्चे की तरह खुश होकर बोले, ‘अरे फिर तो क्लासिक है।’ फिर लच्छू महाराज ने इस गाने पर मधुबाला से डांस कराया।
जब हजारों असली मोतियों का हुआ इंतजार
इस फिल्म में एक सीन है, जब सलीम 14 साल बाद वापस आते हैं। उनके स्वागत में महल में मोतियों की बारिश करवाई जाती है। पहले तो शूटिंग में आर्टीफीशियल मोती इस्तेमाल हुए, लेकिन वो जमीन से टकराते ही टूट जाते थे। मन-मुताबिक काम न होते देख आसिफ ने असली मोतियों की मांग की और जब तक हजारों मोती इकट्ठे नहीं हो गए, शूटिंग रुकी रही। आसिफ कहते थे कि असली मोतियों के जमीन पर गिरने से जो खनक और खुशी मिलती है, उन्हें वही चाहिए और वो वही हासिल करके माने।
सेट बनने में ही लगे थे 2 साल
के आसिफ के बारे में कहा जाता है कि ये वो शख्स थे जिसे भगवान ने सिर्फ ‘मुगल-ए-आजम’ बनाने के लिए धरती पर भेजा था। ये महान फिल्म 5 अगस्त, 1960 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म को बनाने में कुल 16 साल लगे थे। इससे जुड़े हुए कई किस्से है जिसका एक मशहूर किस्सा आपको सुनात हैं। ‘मुगल-ए-आजम’ का मकबूल गाना ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ शीशमहल में शूट किया गया था। पहले ये सेट साधारण शीशों को काटकर बनाया जा रहा था, लेकिन के। आसिफ को लगा कि इन शीशों से वह मन-मुताबिक आकर्षण पैदा नहीं कर पाएंगे, तो उन्होंने बेल्जियम से खास तरह के शीशे मंगवाए। मोहन स्टूडियो में बने इस 200 फीट लंबे, 80 फीट चौड़े और 35 फीट ऊंचे सेट में 10 लाख की लागत आई थी और बनने में 2 साल का वक्त लगा था। तब तक शूटिंग रुकी रही।