प्रकाश झा की फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ विवादों में घिर चुकी है। डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव की इस फिल्म को बोर्ड ने यह कहकर सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया है कि इसमें ऑडियो पॉर्नोग्राफ़ी, सेक्शुअल सीन और गाली-गलौच वाले शब्द हैं। तो वहीं दूसरी ओर इस बात की वजह से सेंसरबोर्ड की निंदा भी हो रही है। ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ फिल्म पर उठे विवाद में सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी ने कहा है कि यह संस्था सिर्फ फिल्मों को प्रमाणपत्र देने के लिए जिम्मेदार नहीं है। सेंसर बोर्ड के पास भारतीय संस्कृति और परंपरा को संरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी है।

सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी ने कहा है कि फिल्म में लंबे और आपत्तिजनक सीन हैं और यह फोन सेक्स की तस्वीर पेश कर रही है। उन्होनें कहा कि  सेंसर बोर्ड जरूरी है ताकि लोगों के सामने सही ढंग की फिल्में जा सकें। बोर्ड को फिल्म के शीषर्क से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन फिल्म में महिला सशक्तिकरण के विषय को जिस ढंग से दिखाया गया है, उससे आपत्ति है। निहलानी ने कहा कि जब तक मैं यहां हूं तब तक यह स्थिति बरकरार रहेगी। फिल्म को मंजूरी न मिलने से बॉलीवुड स्टार्स सपोर्ट में आए हैं। फरहान अख्तर से लेकर दिया मिर्जा और कबीर खान तक सेंसर बोर्ड की आलोचना कर चुके हैं। 

Censor denied certificate for "Lipstick under my burkha"आपको बता दें कि लिपस्टिक अंडर माई बुर्का चार महिलाओं की कहानी है जिन्हें काफी कुछ करना पसंद है लेकिन समाज की बंदिशो और कई कारणों की वजह से वह अपने सपने पूरे नहीं कर पाती हैं। धीरे धीरे कैसे वो इससे आगे बढ़ती हैं और वो सब करती हैं जो उनको करना पसंद है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार ने कहा कि उम्र वर्ग के आधार पर फिल्मों को प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए और ‘सामग्री को सेंसर करने का अधिकार नहीं देना चाहिए। स्क्रिप्ट लेखक एवं गीतकार वरुण ग्रोवर ने ट्विटर पर लिखा कि  फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण में जाएगी और मंजूरी हासिल करेगी।

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