हिंदू धर्म में माना जाता है कि बारिस के चार महीने भगवान विष्णु, सभी देवी-देवताओं के साथ पाताल लोक में शयन करते हैं। इस महीने में विवाह, मांगलिक कार्य आदि नहीं किया जाता है। इसी माह को चतुर्मास या चौमास बोला जाता हैं। इस साल चतुर्मास 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन से शुरू होकर 14 नवंबर, देवोत्थान एकादशी तक रहेगा।
इस दौरान सावन, भादौं, अगहन और आषाढ़ तथा कार्तिक मास के एक-एक पक्ष पड़ते हैं। चातुर्मास का ऋतुओं के संधिकाल पर पड़ने के कारण इस दौरान खान-पान से लेकर व्रत और संयम का विशेष विधान है।
चलिए जानते हैं, चतुर्मास में कौन-कौन सा कार्य नहीं किया जाता
इस माह में विवाह, मुण्डन, जनेऊ आदि किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है। हानि होने का डर रहता है। चतुर्मास में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस काल में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। इस दौरान मांस,मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
नियम के अनुसार सावन के महीने में साग और पत्तेदार सब्जी का सेवन नहीं करना चाहिए। भादौ में बैंगन, दही और अगहन में दूध तथा कार्तिक में लहसुन और उड़द की दाल का सेवन ना करें। चतुर्मास में वर्षा ऋतु होने के कारण मसालेदार और तेलयुक्त भोजन करने से बचें। व्रत और संयम का पलन करना चाहिए, सुबह देर तक सोना नुकसानदायक होता है।
वर्षा ऋतु होने के वजह से इस काल में सूर्य और चंद्रमा की शक्ति कमजोर पड़ जाती है इसलिए शरीर की ऊर्जा और शक्ति को बनाए रखने के लिए व्यायाम जरूर करें। चतुर्मास में शास्त्र वाणी पर संयम रखने की सलाह देते है। इस काल में आवश्यकता से अधिक ना बोलें। इस माह में मांगलिक कार्य वर्जित हैं लेकिन व्रत और पूजन करने की श्रेष्ठ अवधि है। इस काल में किए गए व्रत और पाठ कई गुना अधिक आपके लिए फलदायी होते हैं