हिन्दू धर्म में शिवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। खासकर शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि से बड़ा और कोई त्यौहार हो ही नहीं सकता। भगवान भोले की कृपा पाने के लिए भक्त पूरे साल इस खास दिन का इंतजार करते हैं, लेकिन इस बार पंचांग में भेद होने के कारण शिवरात्रि 13 फरवरी को मनाई जाए या 14 को, इसे लेकर श्रद्धालु दुविधा में हैं। ज्योतिषियों के अनुसार 13 फरवरी को प्रदोष के साथ मध्य रात्रि में चतुर्दशी भी है। ऐसे में 13 फरवरी को व्रत रखना अधिक फलदायक होगा।

13 को रखें व्रत

फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस बार 13 फरवरी की रात 10:22 बजे के बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी, जो अगले दिन 14 फरवरी की रात 12:17 बजे तक रहेगी। तो ऐसे में 13 फरवरी को व्रत रखना अधिक फलदायक होगा।

इसलिए मनाई जाती है….

ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन पहला शिवलिंग प्रकट हुआ था। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था, जो समुद्र मंथन के समय बाहर आया था। इसलिए इस दिन को भगवान शिव के खास दिन के रूप में मनाया जाता है।

पूजन विधि….

महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में शिवभक्तों की खासी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे में अगर ठीक ढंग से उनकी पूजन विधि की जाए, तो मनचाही इच्छा पूरी होती है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि की पूजा विधि….

  • महाशिवरात्रि की पूजा शुरू करने के लिए सबसे पहले शुद्ध आसन पर बैठकर आचमन करें। आचमन का अर्थ होता है-पवित्र जल ग्रहण करते हुए आंतरिक रूप से स्वयं की शुद्धि
  • आचमन के बाद यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें।
  • तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें।
  • पूजा सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें।
  • अब स्वस्ति पाठ करते हुए पूजा आरंभ करें।
  • इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
  • अब आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान और शक्कर-स्नान कराएं।
  • इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं।
  • फिर सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध स्नान कराएं।
  • अब भगवान को वस्त्र और जनेऊ चढाएं, फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढ़ाएं।
  • अब विविध प्रकार के फल चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं और शिवजी को नैवेद्य का भोग लगाएं।
  • अंत में फल, पान-नारियल, दक्षिणा आदि चढ़ाकर आरती करें।
  • ध्यान रहे कि शिव पूजन में प्रदोष काल का अतिशय महत्व है इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि महान शिव भक्त रावण द्वारा रचित ‘शिव तांडव स्तोत्र’ में नियम एवं फलश्रुति की व्याख्या करते हुए लिखा है कि

    पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं

    यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे।

    तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां

    लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥

शिव पूजा के अंत में इस रावणकृत शिव तांडव स्तोत्र का प्रदोष समय में गान करने से या पढ़ने से लक्ष्मी स्थिर रहती है, साथ ही भक्‍त रथ, गज और घोड़े से सर्वदा युक्त रहता है।

मिलेगा सभी समस्याओं का समाधान

विवाह के लिए: अगर विवाह नहीं हो पा रहा है या फिर वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं तो शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर वाला दूध चढ़ाएं।

धन प्राप्ति के लिए: धन प्राप्ति के लिए मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।

इच्छा पूर्ति के लिए : शिवरात्रि पर 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।

पितरों की शांति के लिए : शिवरात्रि पर गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी। साथ ही पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।

संतान सुख के लिए : शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाएं और 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।

ऐसे मनाई जाती है….

इस खास दिन देशभर में शिव जी की बारात निकाली जाती हैं, जिसमें हर उम्र के लोग हिस्सा लेते हैं। शिवजी की बारात देखने योग्य होती है, इस दिन भक्त शिवभक्ति में रंगकर अलग-अलग तरह के रूप जैसे, भूत, पिशाच, नाग, बैल, राक्षस, देव, गन्धर्व आदि धारण कर शिवजी का जयकारा लगाते हैं।

भांग का विशेष महत्व

इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए भी व्रत रखती हैं। महिलाएं सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं और भक्ति-भाव से शिवलिंग पर जलाभिषेक करती हैं। शिवलिंग को फल-फूल से सजाया जाता है और इस दिन दूध, बादाम और भांग मिलाकर खास ठंडाई बनाई जाती है, जिसे प्रसाद के रुप में पीया जाता हैं।

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