Union Budget 2023: वैश्विक स्तर पर Commodities की कीमतों में उछाल, चालू खाते के घाटे में इजाफे की संभावना

Union Budget 2023: भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, देश का चालू खाते का घाटा सितंबर, 2022 की तिमाही में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत हो गया। जबकि अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था।

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Union Budget 2023: commodities ki news
Union Budget 2023: commodities ki news

Union Budget 2023: संसद में पेश आर्थिक सर्वे 2022-23 में मंगलवार को इस बात का जिक्र किया गया कि वैश्विक स्तर पर जिंस यानी (Commodities) की कीमतें बढ़ने से चालू खाते के घाटे में (Current account deficit) इजाफा होने की संभावना है।

ऐसे में इस पर बेहद करीब से नजर रखने की जरूरत है।भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, देश का चालू खाते का घाटा सितंबर, 2022 की तिमाही में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत हो गया। जबकि अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘काफी हद तक घरेलू मांग बढ़ने और कुछ हद तक निर्यात की वजह से पुनरुद्धार तेजी के साथ हुआ है।जिससे चालू खाता संतुलन का जोखिम भी बढ़ा है।ऐसी स्थिति में चालू खाते के घाटे पर करीबी नजर रखने की सख्‍त जरूरत है क्योंकि चालू वित्त वर्ष की वृद्धि रफ्तार अगले साल तक जा सकती है।’’

Union Budget 2023 and Commodities Price hike news
Union Budget 2023 and Commodities Price hike.

Union Budget 2023: आयात में वृद्धि की दर अधिक

Union Budget 2023: आर्थिक सर्वे के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में अब तक आयात में वृद्धि की दर निर्यात की वृद्धि दर के मुकाबले कहीं अधिक रही है। इस वजह से व्यापार घाटा बढ़ गया है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन को बताया कि आर्थिक समीक्षा में ये बात सामने आई है कि दुनिया की अधिकांश मुद्राओं की तुलना में रुपये का प्रदर्शन बेहतर रहने के बावजूद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा के मूल्य में ह्रास चुनौती बना हुआ है।

Union Budget 2023: फेडरल रिजर्व की दरें बढ़ने से रुपये पर दबाव

Union Budget 2023: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से नीतिगत दरों में और बढ़ोतरी होने पर रुपये की कीमत पर दबाव बन सकता है। आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि चालू खाते का घाटा आगे भी बढ़ने की संभावना है। क्योंकि वैश्विक जिंस की कीमतें अधिक हैं।

दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि रफ्तार मजबूत बनी हुई है। निर्यात प्रोत्साहन में आगे और भी गिरावट संभव है क्योंकि वैश्विक वृद्धि एवं व्यापार धीमा पड़ने से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वैश्विक बाजार का आकार घट सकता है।

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