भारत अगले साल फ्रांस और ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा।

ऐसा दावा किसी सरकारी या भारतीय एजेंसी ने नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय संस्था सेंटर फॉर इकनॉमिक ऐंड बिजनस रिसर्च (सीईबीआर) की कंसल्टंसी रिपोर्ट में कहा गया है। मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लगातार आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था अगले साल तक इस मुकाम पर पहुंच जाएगी।

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि ऊर्जा एवं तकनीक के सस्ते साधनों की उपलब्धता के कारण यह उपलब्धि हासिल कर लेगा। इससे भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि होगी और अगले साल तक भारत, फ्रांस और ब्रिटेन से भी आगे निकल जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत अगर इसी ट्रेंड से आगे बढ़ता रहा तो अगले 15 सालों में टॉप 10 सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का दबदबा बढ़ जाएगा।

गौरतलब है कि एक अन्य एशियाई महाशक्ति चीन भी इस दिशा में काफी बेहतर चाल से चल रहा है। सीईबीआर की इस रिपोर्ट के अनुसार चीन 2032 तक अमेरिका को पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की व्यापारिक गतिविधियों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्वाचन का उतना गहरा असर नहीं पड़ा जितनी आशंका थी।इसलिए अमेरिका पिछली रिपोर्ट के अनुमानों से एक साल ज्यादा तक दुनिया के सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था का खिताब कायम रख सकता है।

वहीं रिपोर्ट में रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने की आशंका जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने का डर है। इसके अनुसार रूस 2032 तक 11वें स्थान से गिरकर 17वें स्थान पर आ सकता है। रिपोर्ट में ब्रिटेन पर ब्रेग्जिट के कम से कम असर होने की आशंका जताई है।

सीईबीआर के उपचेयरमैन डगलस मैकविलियम्स ने वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल का हवाला देते हुए कहा कि ‘नोटबंदी और जीएसटी के शुरुआती झटकों के बावजूद 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। वह इस साल ब्रिटेन और फ्रांस को पछाड़ते हुए दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाा बन जाएगी।’ हालांकि मैकविलियम्स ने माना कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारत के विकास की गति थोड़ी मंद पड़ी है।

आपको बता दें कि सिर्फ सीईबीआर ऐसा अनुमान लगाने वाली पहली एजेंसी नहीं है। इससे पहले रॉयटर्स के पोल में भी अर्थशास्त्रियों ने यही राय जाहिर की थी। अक्टूबर महीने में रॉयटर्स ने अर्थशास्त्रियों की राय जानी थी जिसमें 2018 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा 3.5 प्रतिशत के मुकाबले 3.6 प्रतिशत की मामूली बढ़त का संकेत मिला था।

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