पहले छत्तीसगढ़ के सुकमा और अब महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सलियों ने एक बार फिर हमारे जवानों को निशाना बनाया है। बुधवार को हुए नक्सली हमले में एक कमांडो मारा गया वहीँ 20 से ज्यादा जवान जख्मी हो गए। इस हमले के बाद सवाल अब ये उठ रहे हैं कि सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी नक्सली हमले रुकने का नाम क्यो नही ले रहे। आखिर कब तक हमारे जवान ऐसे ही शहीद होते रहेंगे। आखिर इतनी कोशिशों के बावजूद भारत में लाल आतंक पर रोक क्यों नहीं लग रही है। क्या ये हमारी राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी है या फिर गरीबों तक सरकार की मदद नहीं पहुंच पा रही और वह नक्सलियों के बहकावे में आ जाते हैं।

गुरुवार 4 मई को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में नक्सलवाद के मसले पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन न्यूज), प्रफुल्ल बख्सी (रक्षा विशेषज्ञ), आमिर जैदी ( नेता CPI ), जीशान हैदर (प्रवक्ता कांग्रेस) ओम प्रकाश पांडेय ( प्रवक्ता बीजेपी) शामिल थे।

प्रफुल्ल बख्सी ने कहा कि हमले क्यों हो रहे हैं क्यों कि नक्सली इस प्रणाली को हटाना चाहते हैं और उनको पता है कि पैरामिलिट्री फौजें उनके रास्ते में आयेगीं इसलिए वो इनके ऊपर हमला कर रहे हैं। हम उनके ऊपर हमला इसलिए नही कर पा रहे हैं क्यों कि जो हमने नीति अपनाई है और जो फोर्स हमने लगाई है उनका प्रशिक्षण ठीक से नही हो पा रहा है।

आमिर हैदर जैदी ने कहा कि हमारा मसला ये है कि जो चीज कही जाती है उसे अमल में नही लाया जाता है। कुछ दिन पहले नोटबंदी हुई थी तो ये कहा गया था कि इससे नक्सलवाद और आतंकवाद की कमर टूट जायेगी लेकिन इससे न नक्सलवाद की कमर टूटी न आतंकवाद खत्म हुआ। देश की विडंबना है कि बाहुबली को कट्टपा ने क्यों मारा ये जानने के लिए हजारों की संख्या में जनता सिनेमा हाल पहुंच जाती है। लेकिन ये जनता सड़कों पर उतरकर सरकार से क्यों नही सवाल करती कि हमारे सैनिक क्यों मर रहे हैं। इसका जवाब कौन देगा। सरकार दो मिनट में जवाब देने को तैयार रहती है।

जीशान हैदर ने कहा कि नक्सली गतिविधियां कम हुई है लेकिन सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में बढ़ी हैं। आप लगातार घट रही घटनाओं को ही देख लीजिए। हमरा खुफिया तंत्र पूरी तरह से असफल है। रमन सिंह सरकार पूरी तरह से असफल रही है।

ओमप्रकाश पांडेय ने कहा कि नक्सली अब बहुत ही कम क्षेत्रों में बचे हैं और एक तरह से अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं। नक्सलियों के सफाये के लिए भी सरकार लगी हुई है और शीघ्र ही नक्सली समाप्त हो जायेंगे।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि जो समस्या छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में माओवाद और नक्सलवाद की है वहां पर विकास पहुंचा ही नही है। वहां के लोगों ने विकास क्या होता है कभी जाना ही नहीं। असल समस्या यह है कि हमने कभी आदिवासियों के दर्द को समझने की कभी कोशिश ही नही की। जो आदिवासियों के परंपरागत अधिकार हैं वो अधिकार उनको मिलेगा जब तक ये भरोसा उनके दिमाग में नही जायेगा तब तक चीजें उनकी तरफ से ठीक नही होगीं।

क्या एकजुट हो पायेगा विपक्ष

जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। एनडीए गठबंधन जहां अपना दबदबा बरकरार रखना चाहता है तो वहीं विपक्ष की कोशिश सरकार के सामने राष्ट्रपति चुनाव में चुनौती पेश करने की है। विपक्ष को ये बात अच्छी तरह पता है कि अलग-अलग लड़कर बीजेपी को चुनौती नहीं दी जा सकती इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में सभी दल एकजुट होने की कोशिशों में लगे हैं। सोनिया गांधी ने कई दलों के नेताओं से इस मामले में बात की है। लेकिन सवाल अब ये उठ रहे हैं कि क्या मोदी की जीत को रोकने के प्रयास मे सभी विरोधी दल एकजुट होने में सफल हो पायेंगे क्यों कि उम्मीद्वार को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

इसके दूसरे हिस्से में राष्ट्रपति चुनाव के लिए एकजुट होने की विपक्ष की कोशिश पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में में गोविंद पंत राजू,  अली अनवर (सांसद जेडीयू), आमिर जैदी , जीशान हैदर ओम प्रकाश पांडेय शामिल थे।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि ये ठीक है बीजेपी का जो बहुमत है उसको रोकने के लिए विपक्ष का एकजुट होना बहुत जरुरी है और अच्छे लोकतंत्र की ये खूबी भी है। जिस तरह से मुद्दा आगे बढ़ेगा हो सकता है कि कोई इस तरह का उम्मीद्वार आये कांग्रेस और सहयोगी दलों की तरफ से जो कि सत्तारुढ़ दल की भी सहमति बनें। लेकिन परिस्थितियां ऐसी भी हो सकती है कि विपक्ष जिस उम्मीद्वार को चाह रहा है उसी उम्मीद्वार को सत्तारुढ़ दल को भी मानना पड़े।

अली अनवर ने कहा कि अभी तो आगाज हुआ है अंजाम तक ये बात पहुंचना चाहिए। हम लोगों की पूरी कोशिश है कि जो बीजेपी विरोधी वोट है उनको एकजुट किया जाय और राष्ट्रपति के चुनाव में उनको पराजित किया जाये। मजबूरी नही वक्त की जरुरत है वक्त सबसे ताकतवर होता है। बीजेपी की तरफ से जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है देश को तोड़ने की तो एकजुटता समय की मांग है। अभी विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरु हुई है लेकिन पार्टियों की अपनी पसंद-नापसंद भी है तो विचार की प्रक्रिया में कई नाम आयेंगे।

आमिर जैदी ने कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन नही हो रहा है बल्कि विपक्ष की भूमिका और मजबूत हो और सरकारी कार्यों पर जो गलत नीतियां बन रही हैं उन पर लगाम लगे इसके लिए ये गठबंधन बन रहा है। देश के संविधान की सुरक्षा के लिए ये गठबंधन हो रहा हैं।

ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि बीजेपी का मत ये है कि सर्वसम्मति से ऐसा उम्मीद्वार आये जो विपक्षी दल और हम लोगों के साथ मिलकर आये। राष्ट्रपति सर्वोच्च पद है उस पर अगर सर्वसम्मत उम्मीद्वार हो तो सबसे अच्छी बात है।

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