फिलिस्तीनियों ने इजराइल के खिलाफ छेड़ दिया तीसरा इंतिफादा! जानें पिछली दो बार क्या हुआ था…

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हाल के वर्षों में इजरायल के खिलाफ हमास द्वारा किए गए सबसे घातक हमले के बाद इजरायल गाजा में हमास के खिलाफ चौतरफा युद्ध लड़ रहा है। इस बार युद्ध हमास की ओर से ज़मीन, समुद्र और हवाई हमले के साथ शुरू हुआ जो कि इज़राइल ने कभी नहीं देखा था।

हफ्ते भर पहले हुए हमले के बाद से दोनों पक्षों के कई लोग मारे गए हैं और इज़राइल पूरी ताकत से जवाबी कार्रवाई कर रहा है। गाजा बीते 15 वर्षों में सबसे घातक स्थिति का सामना कर रहा है। हिंसा ने इजराइल के खिलाफ दो इंतिफादा या फिलिस्तीनी विद्रोहों की याद दिला दी है और माना जा रहा है कि चौतरफा युद्ध तीसरे विद्रोह की शुरुआत है।

पहला इंतिफादा

इंतिफादा, जिसका अनुवाद है हिलाकर रख देना। इंतिफादा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है “छुटकारा पाना”। इज़राइल ने 1987 में फिलिस्तीनी विद्रोह देखा था। पहला इंतिफादा 9 दिसंबर, 1987 को शुरू हुआ, जब चार फिलिस्तीनियों को एक इजरायली जीप ने कुचल दिया था। इस घटना को विद्रोह के लिए ट्रिगर माना जाता था।

उस समय हुआ यह था कि गाजा में एक यहूदी की हत्या के बाद जबल्या शरणार्थी शिविर में चार फिलिस्तीनियों की हत्या कर दी गयी थी। पहले इंतिफादा में अहिंसक विरोध और बहिष्कार देखा गया, जबकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने इजरायली बलों पर मोलोटोव हमलों, पथराव, दंगों और यहां तक ​​कि आत्मघाती हमलों का इस्तेमाल किया। 1987 में हमास का गठन भी हुआ था। जिसने इस बार इजराइल पर हमला बोला है। बीते समय में हमास ने खुद को फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) के विकल्प के रूप में पेश किया है।

हालांकि पहला इंतिफादा 1993 में इजरायली प्रधानमंत्री यित्ज़ाक राबिन और पीएलओ अध्यक्ष यासर अराफात द्वारा अमेरिका में हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते के साथ समाप्त हुआ। पहले विद्रोह में 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी और 150 से अधिक इजरायली मारे गए थे।

दूसरा इंतिफादा

ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर के बाद वर्षों में इजरायलियों और फिलिस्तीनियों के बीच सामाजिक-आर्थिक अंतर गहराता गया। जमीनी हकीकत समझौते के उद्देश्य से मेल नहीं खाती थी। 1993-2000 तक, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इजरायली कब्जा और बढ़ गया। फिलिस्तीनियों को उम्मीद थी कि आवाजाही की स्वतंत्रता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के मामले में उनके जीवन में सुधार होगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फिलिस्तीनी समाज में काफी नाराजगी पैदा हो गई।

2000 में अमेरिका, इज़राइल और पीएलओ के बीच कैंप डेविड शिखर सम्मेलन नाकाम रहने के बाद तनाव बढ़ गया और इज़राइली नेता एरियल शेरोन की अल-अक्सा मस्जिद की यात्रा ने ताबूत में कील का काम किया। जिसके परिणामस्वरूप दूसरा विद्रोह या दूसरा इंतिफादाह हुआ।

अल-अक्सा मस्जिद इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के केंद्र में रही है। दूसरे इंतिफादा को अल-अक्सा इंतिफादा के नाम से भी जाना जाता है। 2002 में, एक होटल पर हमास के हमले के बाद इज़राइल ने वेस्ट बैंक में ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड शुरू किया था, जिसमें 30 इज़राइली मारे गए थे। इस बार स्नाइपर हमलों, आत्मघाती बम विस्फोटों, हिंसक विरोध प्रदर्शनों और छापों ने विद्रोह को पिछले विद्रोह की तुलना में अधिक हिंसक बना दिया था।

शर्म अल-शेख शिखर सम्मेलन के बाद 2005 में समाप्त हुए इस विद्रोह में 1,000 से अधिक इजरायली और 2,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए थे।

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