इस बार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर को नोबल पुरस्कार के लिए चुना गया। अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर शिकागो में व्यवहारिक विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उन्होंने मोदी सरकार के नोटबंदी का समर्थन किया था।

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गौरतलब है कि अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर को अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान में अंतर मिटाने के लिए यह नोबल दिया गया है। 8 नवंबर 2016 को भारत में जब नोटबंदी की गई थी तो उस वक्त रिचर्ड थेलर ने नोटबंदी का समर्थन किया था। उन्होंने ट्वीट कर यह समर्थन जाहिर किया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था, ‘‘यह एक ऐसी नीति है जिसका मैं पुराना समर्थक हूं। यह कैशलेस सिस्टम की ओर पहला कदम है और भ्रष्टाचार कम करने की दिशा में अच्छी शुरुआत है।”

थेलर ने कई किताबें लिखी हैं। उन्होंने 2008 में आई पुस्तक Nudge में बताया कि व्यवहारिक इकोनॉमिक्स के जरिए सोसाइटी की कई समस्‍याओं को हल किया जा सकता है।

जैसा कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी इस साल अर्थशास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार की दौड़ में शामिल थे। हाल ही में उन्होंने एक किताब लिखी, जिसमें नोटबंदी से लेकर भारतीय अर्थव्यवस्था का उल्लेख है। इसके अलावा उन्होंने नोटबंदी पर कहा था कि वह नोटबंदी के समर्थन में कभी नहीं थे। 

अगर इस साल नोबल पुरस्कार के लिए रघुराम राजन को चुना जाता तो वे अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दूसरे भारतीय नोबल विजेता बन जाते। अर्थशास्त्र का नोबल जीतने वाले एकमात्र भारतीय अमर्त्य सेन हैं। उन्हें 1998 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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