विश्वभर में परमाणु हथियारों को जड़ से खत्म करने के लिए अभियान चलाने वाली संस्था को इस बार शांति के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा गया है। जी हां, परमाणु हथियारों के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था ICAN यानी इंटरनेशनल कैंपेन टू एबोलिश न्‍यूक्लियर वेपन्स को शांति नोबल पुरस्कार दिया है। इस संस्था सिविल सोसायिटी के लोग पूरी दुनिया में परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि पर काम कर रही है।

इस संस्था की शुरुआत 2007 में हुई थी, जिसमें 101 देशों में इसके 486 सहयोगी काम कर रहे हैं।

नोबल पुरस्कार देने वाली समिति में शामिल बी. आर एंडरसन ने इस संस्था को शांति का नोबल पुरस्कार देने पर कहा है कि,  ‘हम लोग इस समय ऐसी दुनिया में हैं जिसके ऊपर परमाणु युद्ध का खतरा है। ‘इसके अलावा उन्होंने उत्तर कोरिया का ज़िक्र करते हुए कहा ,”हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का ख़तरा पहले से कहीं ज़्यादा है।”

उन्होंने परमाणु हथियार संपन्न देशों से एटमी हथियार ख़त्म करने के लिए बातचीत शुरू करने की अपील की है।

इसके अलावा नोबल शांति पुरस्कार पाने वाली इस संस्था का कहना है कि उनका काम अभी पूरा नहीं हुआ है और परमाणु हथियारों की पूरी तरह समाप्ति होने तक वह प्रयास जारी रखेंगे।

स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में आधारित इस संस्था को दिसंबर में नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया था।

हालांकि इससे पहले संस्था के प्रमुख बी. फिन ने कहा था कि, हमारा काम अभी पूरा नहीं हुआ है। और परमाणु हथियारों के खात्मे तक पूरा नहीं होगा। स्वीडिश अकादमी की तरफ से कहा गया है कि हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जब परमाणु हथियारों के हमले का खतरा सबसे ज्यादा है।

यह घोषणा तब की गई है जब उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच परमाणु हथियारों को लेकर तनाव बढ़ा है।

इससे पहले प्राणियों के आंतरिक जैविक घड़ी यानी बायोलॉजिकल क्लॉक के बारे में महत्वपूर्ण शोध करने के लिए अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों जेफरी सी. हॉल (72), माइकल रॉसबैस (73) और माइकल डब्ल्यू यंग (68) को 2017 के चिकित्सा के नोबल पुरूस्कार के लिए चुना गया था।

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