Uttarakhand News: उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा का पहला सम्मेलन हुआ आयोजित, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा, “अपनी बोलियों एवं भाषाओं को अधिक से अधिक व्यवहार में लाना चाहिए”

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Uttarakhand News: उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा का पहला सम्मेलन हुआ आयोजित, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा,
Uttarakhand News: उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा का पहला सम्मेलन हुआ आयोजित, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा, "अपनी बोलियों एवं भाषाओं को अधिक से अधिक व्यवहार में लाना चाहिए"

Uttarakhand News: उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा का पहला सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने उद्द्बोधन में कहा कि भाषा बोलने से ही जीवित रहेगी। हमें अपनी बोलियों एवं भाषाओं को अधिक से अधिक व्यवहार में लाना चाहिए। क्योंकि भाषाएं या बोलियां लिखने की अपेक्षा सुनने एवं बोलने से अधिक आती हैं। महाराष्ट्र की संस्कृति की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हमें महाराष्ट्र की बहुभाषावाद के गुण को समझना चाहिए, जहां मराठी भाषियों द्वारा भी अन्य राज्यों की तुलना में हिंदी अच्छी तरीके से बोली जाती है।

Uttarakhand News: उन्होंने उतराखण्ड की प्रतिनिधि भाषा के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि गढ़वाली- कुंमाऊनी पौराणिक भाषाएं हैं इनका अपना इतिहास और साहित्य है, उनके स्वरूप को यथावत रखना भी आवश्यक है। उन्होंने हिंदी खड़ी बोली में बाईस बोली भाषाओं के शब्दों के एकीकृत करने में गढ़वाली-कुमाऊनी को भी हिंदी खड़ी बोली की जननी माना है।

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Uttarakhand News: कार्यक्रम के संयोजक चामू सिंह राणा के अनुसार उत्तराखंड राज्य निर्माण के पश्चात भाषाई विभिन्नताओं के बावजूद प्रतिनिधि भाषा की ओर अब तक की प्रदेश सरकारों ने उदासीनता दिखाई, किन्तु अब राज्यपाल कोश्यारी के प्रयासों से प्रतिनिधि भाषा को बल मिलेगा।

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक डॉ बिहारीलाल जलन्धरी ने उत्तराखण्ड की सभी उपबोलियों के शब्दों को संकलित कर संरक्षण देने की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि भाषा आपसी संप्रेषण और विद्यालयों में पढ़ने- पढ़ाने से ही बचेगी तथा उत्तराखंड की एक प्रतिनिधि भाषा गढ़वाल- कुमांऊ की भाषाई रंजिश को दूर करेगी। इसके माध्यम से सभी मध्य पहाड़ी भाषाओं को संरक्षण मिलेगा।

Uttarakhand News: सम्मेलन में आये अतिथियों में डॉ आशा रावत ने भाषा की वैज्ञानिक शब्दावली की और ध्यान आकर्षित करते हुए उतराखण्ड की प्रतिनिधि भाषा के लिए कार्य करने पर जोर दिया। जबकि नीलांबर पाण्डेय ने हिंदी खड़ी बोली के आरम्भिक दौर में गुमानी पंत का उल्लेख किया।

गुमानी पंत की चौपाइयों में कुमाऊनी, नेपाली, अवधी भोजपुरी के शब्दों का प्रयोग किया था उसी तरह उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए। अन्य अथिति वक्ता में गणेश पाठक ने कहा कि उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के लिए समवैचारिक साहित्यकारों ,समाजसेवियों को आपस में मिलकर कार्य करना होगा।

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Uttarakhand News: डॉ बिहारीलाल लाल की पुस्तक का हुआ लोकार्पण

इस कार्यक्रम में उत्तराखण्डी भाषा नीति पर आधारित पुस्तक के संपादक डॉ राजेश्वर उनियाल ने अपने स्वागत भाषण में इस सम्मेलन के उद्देश्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला। सम्मेलन का मंच संचालन राज्यपाल के मीडिया समन्वयक संजय बलोदी” प्रखर “ने किया।

कार्यक्रम में इस अवसर पर डॉ बिहारीलाल लाल द्वारा रचित “उत्तराखण्ड की जनश्रुति” नामक पुस्तिका का भी राज्यपाल द्वारा लोकार्पण किया गया। अंत में राजभवन के सभागार से एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस कार्यक्रम में मुंबई में उत्तराखण्डी प्रवासी संगठनों के मुख्य पदाधिकारी, साहित्यकार , पत्रकार व विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित महानुभाव भी शामिल हुए।

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