UP News: श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में मथुरा कोर्ट का फैसला सुरक्षित, 19 मई को होगी सुनवाई

UP News: मथुरा कोर्ट में दाखिल याचिका में श्री कृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई है। इसके अलावा याचिका में कोर्ट की निगरानी में विवादित जगह की खुदाई करने की मांग भी की गई है।

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UP News: श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है। जिसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई है। उसी जगह पर कारागार मौजूद है जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। अगर खुदाई कराई जाएगी तो यह बात साबित हो जाएगी।

मथुरा कोर्ट में दाखिल याचिका में श्री कृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई है। इसके अलावा याचिका में कोर्ट की निगरानी में विवादित जगह की खुदाई करने की मांग भी की गई है। इस पूरे मामले में मथुरा कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट 19 मई को फैसला सुनाएगा।

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UP News: करीब दो घंटे तक चली सुनवाई

लखनऊ निवासी वकील रंजना अग्निहोत्री ने वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाकर पूरी 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है। गुरुवार को इस मामले में अदालत में करीब दो घंटे तक सुनवाई की गई। इस दौरान शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद भी मौजूद रहे।

वादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम है। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी से श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने 1968 में समझौता किया था। संस्थान को समझौता करने का अधिकार ही नहीं है, ऐसे में ये समझौता रद किया जाए और पूरी जमीन ट्रस्ट को दी जाए।

UP News: वाद न्‍यायसंगत नहीं बताया

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सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से वकील जीपी निगम ने कहा कि जिला जज की अदालत में वादी पक्ष को वाद के रूप में रिवीजन नहीं दाखिल करना था, बल्कि अपील दाखिल करनी थी। पहले अपील दाखिल की गई लेकिन उसे रिवीजन में बदल दिया गया, ये न्याय संगत नहीं है। इसलिए ये वाद चलने योग्य नहीं है।

वहीं शाही मस्जिद ईदगाह की ओर से वकील नीरज शर्मा का कहना था कि वादी पक्ष ने पहले निचली अदालत में वाद दायर किया था, लेकिन वहां से ये कहकर वाद खारिज किया गया था कि वादी पक्ष को वाद दायर करने का अधिकार नहीं है। निचली अदालत में जो कुछ मामलों में न्यायालय के आदेश का हवाला दिया गया था, उसमें आदेश की कापी नहीं लगाई गई। केवल टाइप कर आदेश लगाया है।

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