पहली बार पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने कश्मीर मुद्दे का समाधान राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर करने की वकालत की है। पाकिस्तान के ‘रक्षा दिवस’ पर जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि, शांति समृद्धि के लिए जरूरी है और देश के लोगों का कल्याण स्थायी शांति से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान का अपमान करने और कश्मीरियों के खिलाफ शक्ति प्रयोग करने के बजाय, इस विवाद का समाधान राजनयिक और राजनीतिक साधन से करना चाहिए।
इस तरह सेना प्रमुख ने कश्मीर विवादको राजनैतिक और कूटनीतिक साधनों के माध्यम से पेश करने का आह्वान किया है। उन्होंने भारत का नाम लिए बगैर कहा, ‘दोनों देशों के लाखों लोगों की भलाई शांति में है। पाकिस्तान को नीचा दिखाने या कश्मीरी लोगों के खिलाफ ताकत इस्तेमाल करने के बजाए भारत को कूटनीतिक और राजनीतिक तरीके से विवाद का हल निकालना चाहिए।’
बाजवा ने अपने भाषण के दौरान भारत को पड़ोसी देश के रूप में संबोधित करते हुए कहा, ‘दक्षिण एशिया में परमाणु हथियार हम लेकर नहीं आए और हमारे परमाणु हथियार साधारण रूप से शांति बनाए रखने की गारंटी है। यह हमारा उस पड़ोसी देश को जवाब है, जो ताकत में कहीं आगे है। यह वही देश है, जो दक्षिण एशिया में एक गैर परंपरागत युद्ध लेकर आया है।’
जनरल बाजवा ने कहा, ‘हमने आतंकवाद, अतिवाद और आर्थिक नुकसान के रूप में महाशक्तियों द्वारा शुरू की गई युद्धों की कीमत चुकाई है। हम अपनी नीति का पालन कर रहे हैं और हम किसी भी देश के खिलाफ अपनी मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करने देंगे। हम अन्य देशों से भी यही आशा रखते हैं।’
पाकिस्तानी सेना का अब तक जिस तरह का रवैया रहा है, उसे देखकर यह बयान थोड़ा आश्चर्य पैदा करता है। हालांकि बाजवा का यह बयान पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ के बयान के दो दिन बाद आया है, जिसमें आसिफ ने पहली बार कबूल किया था कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन उनके देश के अंदर चल रहे हैं।
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