Allahabad High Court ने कानपुर के बिकरु गांव में अपराधी विकास दुबे के घर में पुलिस छापेमारी के बारे में सूचना देने के आरोपित थाना प्रभारी विनय तिवारी व दरोगा के के शर्मा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। 3 जुलाई 2020 की इस घटना में 8 पुलिस अधिकारियों की गोली लगने से मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। न्यायमूर्ति पी के श्रीवास्तव ने अपने आदेश की शुरुआत 40 साल पहले आए जस्टिस कृष्णा अय्यर के उस फैसले से की, जिसमें उन्होंने कहा था कि पुलिस को कौन पुलिस बनाएगा।
आरोप है कि याचियों को पुलिस छापे की सूचना दी। उन्होंने गैंग्स्टर को न केवल सावधान किया बल्कि उसे काउन्टर हमले के लिए तैयारी का मौका दिया। जिसके वजह से 8 पुलिस वाले मारे गए। कोर्ट ने कहा कि कुछ पुलिस वाले हैं जो गैंग्स्टर के संपर्क में रहते हैं। इसकी वजह पुलिस विभाग को भी मालूम है। याचियों का कहना था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। मनगढ़ंत आरोप लगाया गया है। जब कि अपर शासकीय अधिवक्ता का कहना था कि याची हमेशा गैंग्स्टर के संपर्क में थे।
अपराधियों को समर्थन देकर बचाते हैं राजनीतिक दल
कोर्ट ने कहा कि देश में राजनीतिक दलों का आम चलन है कि वे गैंग्स्टर का स्वागत करते हैं और वे उस पार्टी के लिए संगठित अपराध करने को तैयार रहते हैं। अपराध पर राजनीतिक दल उन्हें समर्थन देकर बचाते हैं और अपराधी स्वयं को राबिन हुड साबित करने में लग जाते हैं। राजनीतिक दल उन्हें टिकट भी देते हैं। कुछ जीत भी जाते हैं।
कोर्ट ने कहा राजनीतिक दलों के इस चलन पर रोक लगनी चाहिए। सभी दल मिल-बैठकर तय करें कि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण नहीं देंगे और कोई भी दल अपराधियों को टिकट नहीं देगा। कोर्ट ने राजनीतिक दलों के रवैये को कानून के शासन को कमतर करने वाला और गणतंत्रात्मक संरचना को क्षति पहुंचाने वाला करार दिया है।
मालूम हो कि गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम के बिकरू गांव पहुंचते ही फायरिंग होने लगी थी। वे संभल पाते तब तक 8 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। विकास दुबे मध्य प्रदेश में पकड़ा गया। यूपी लाते समय पुलिस से बचकर भागने की कोशिश में मुठभेड़ में मारा गया। उसके कुछ साथियों को भी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया।
यह भी पढ़ें: जानबूझकर विकास दुबे के खिलाफ नहीं हुई कार्रवाई! शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा का लेटर हुआ वायरल।