भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) के दो पूर्व अध्यक्षों एन श्रीनिवासन और अनुराग ठाकुर, पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली सहित शीर्ष मौजूदा और पूर्व क्रिकेट प्रशासकों ने भारतीय बोर्ड के भविष्य पर विचार करने तथा प्रशासकों की समिति (सीओए) की निगरानी को समाप्त करने को लेकर अहम बैठक की है। सर्वोच्च अदालत द्वारा गठित सीओए फिलहाल बीसीसीआई का संचालन कर रही है और बोर्ड के सभी अहम फैसलों में उसका हस्तक्षेप रहता है। बोर्ड के प्रशासकों ने शुक्रवार को बीसीसीआई के भविष्य में संचालन को लेकर बैठक  में चर्चा की।

भारतीय जनता पार्टी के नेता और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, पूर्व कप्तान और बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के अध्यक्ष गांगुली, पूर्व बीसीसीआई सचिव निरंजन शाह, अजय शिर्के, गुजरात क्रिकेट संघ के अध्यक्ष जय शाह इस बैठक में शामिल हुये। क्रिकइंफो के अनुसार पूर्व और मौजूदा करीब 20 क्रिकेट प्रशासकों ने इस बैठक में हिस्सा लिया। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी भी इस बैठक में शामिल हुये।

श्रीनिवासन की अध्यक्षता वाले पैनल ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के प्रशासन को भविष्य में आगे ले जाने और बोर्ड के नये सिरे से चुनाव कराने को लेकर अहम चर्चा की। मौजूदा समय में बीसीसीआई के नये संविधान को सभी राज्य इकाईयों में लागू कराने के लक्ष्य के साथ बोर्ड का संचालन सीओए कर रहा है, जिसने नये सिरे से चुनाव कराने का फैसला किया है सर्वोच्च अदालत बीसीसीआई के प्रशासनिक मामलों को लेकर 17 जनवरी को सुनवाई में कोई फैसला दे सकती है। इस बैठक में सीओए के बीसीसीआई संचालन को जल्द समाप्त करने को लेकर मुख्य रूप से चर्चा भी की गयी। बैठक में सीओए के दोनों सदस्यों अध्यक्ष विनोद राय और डायना इडुलजी के लगभग हर मुद्दे पर भिन्न राय होने और इससे प्रशासनिक कामकाज में बाधा पर भी चर्चा हुयी।

हाल ही में सीओए के दोनों सदस्य भारतीय क्रिकेटरों लोकेश राहुल और हार्दिक पांड्या के महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी विवाद मामले पर बंटे नज़र आ रहे हैं। दोनों की राय मामले की जांच कराने को लेकर अलग है। दोनों क्रिकेटरों को जांच पूरी होने तक निलंबित कर आस्ट्रेलिया दौरे से स्वदेश बुला लिया गया है जबकि इडुलजी अभी जांच कराने के हक में नहीं है।

बोर्ड अधिकारियों और प्रशासकों की बैठक के बाद जारी बयान में उन्होंने कहा,“सभी सदस्यों ने इस बात पर हैरानी जताई कि किस तरह सीओए के सदस्य खुद ही मामलों पर बंटे रहते हैं और एक दूसरे की राय को नज़रअंदाज़ करते हैं। सदस्यों ने फैसला किया है कि वे सर्वोच्च अदालत के सामने इस बारे में अपना पक्ष रखेंगे ताकि फैसले लेने में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जाए खासकर जो मामले भारतीय क्रिकेट और क्रिकेटरों से जुड़े हैं।”

इससे पहले पूर्व कप्तान गांगुली ने भी पत्र लिखकर बीसीसीआई के समक्ष क्रिकेट से जुड़े मुद्दों को गलत ढंग से संचालित करने पर नाराजगी जताई थी। गांगुली ने अपने पत्र में क्रिकेट के नियमों को बीच सत्र में बदलने, बैठक में लिये फैसलों को पलटने और किसी एक क्रिकेट संघ की कार्यशाला में हस्तक्षेप करने जैसे मुद्दों पर नाराजगी जतायी थी।

-साभार, ईनसी टाईम्स

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