कभी क्रिकेट के मैदन में अपना जलवा दिखाने वाले इमरान खान राजनीति की पिच पर इस कदर कामयाब होंगे, इसकी कल्पना शायद उन्होंने भी उस वक्त नहीं की थी, जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने 1997 में पहली बार सात सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन  सभी सीटों पर पार्टी उम्दवार की जमानत जब्त हो गई थी। यह वह वक्त था जब 1992 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने के बाद इमरान खुद को सुपरस्टार मान बैठे थे। लेकिन चुनावी नतीजों ने उन्हें अहसास करा दिया था कि राजनीति की पिच पर इतनी आसानी से सफलता नहीं मिलती। इमरान खान की पार्टी को जिस तरह वहां की अवाम का कथित समर्थन मिला है, उसके बाद भारत से पाकिस्तान के संभावित रिश्तों पर भी बहस शुरु हो गई है। इमरान  सेना और आईएसआई की पसंद माने जाते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान नवाज शरीफ की पार्टी ने खुलकर आरोप लगाया था कि इमरान सेना और आईएसआई के साथ मिलकर गलत तरीके से चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं।

1997 की हार के बाद 2002 के चुनाव में भी इमरान को खास सफलता नहीं मिली थी। इमरान अपनी मियांवाली सीट बेशक जीतने में कामयाब रहे लेकिन लेकिन उनकी पार्टी के बाकी सभी उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा था। 2008 के आम चुनाव का इमरान ने बायकॉट किया था। उनका आरोप था कि चुनाव में अनियमितता बरती जा रही है।

लेकिन 2013 में पीटीआई ने सभी राजनीतिक पंडितो को उस वक्त चौंका दिया जब इमरान की पार्टी दूसरी बड़ी पार्टी के रुप में उभरी। इस चुनाव में इमरान खान ने चार सीटों से चुनाव लड़ा। तीन सीटों पर उन्हें जीत मिली थी, लेकिन लाहौर में हार का सामना करना पड़ा। उस दौरान पाकिस्तानी अवाम में इमरान को लेकर काफी लहर थी। पंजाब में उनके जलसों में भीड़ देखते ही बनती थी। एक चुनावी सभा के दौरान वे लिफ्ट से गिरकर चोटिल हो गए। उन्होंने अस्पताल के बिस्तर से ही लोगों को संबोधित किया। चोटिल होने के बाद सहानुभूति की लहर का फायदा इमरान की पार्टी मिला था, लेकिन उतना नहीं, जितनी उम्मीद की जा रही थी।

जिया उल हक थे इमरान खान के फैन

इमरान को लेकर कुछ लोग यह कह सकते हैं कि उन्हें राजनीति का बहुत अनुभव नहीं है लेकिन हकीकत यह है कि इमरान की रुचि क्रिकेट के साथ राजनीति में हमेशा रही है। 1987 में इमरान खान ने क्रिकेट से संन्यास का मन बना लिया था। उस वक्त के सैन्य तानाशाह और राष्ट्रपति जिया उल हक ने नेशनल टेलीविजन पर इमरान से संन्यास की घोषणा वापस लेने की गुजारिश की थी। 1998 में तो जनरल ने इमरान को कैबिनेट मंत्री बनने का प्रस्ताव भी दे दिया था। इमरान ने खेल जारी रखा और बाद में 1992 में टीम को वर्ल्ड कप जिताया। इमरान ने खुद अपनी बायोग्राफी में लिखा कि जब भी पाकिस्तान मैच जीतता था तो जनरल जिया उल हक उन्हें फोन कर बधाई देते थे।

लेकिन इमरान को राजनीति में लाने का श्रेय आईएसअई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हामिद गुल को जाता है। वे एक समय पाकिस्तान के सबसे ताकतवर शख्स थे। माना जाता है कि  तालिबान भी उन्हीं की देन है। गुल ने ही इमरान को क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद राजनीति में आने का सुझाव दिया था और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी बनाने का सुझाव दिया।

1999 में सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट किया और नवाज शरीफ की सरकार को बर्खास्त कर दिया। उस वक्त पाकिस्तान के लगभग सभी सियासी दल मुशर्रफ के खिलाफ थे, लेकिन इकलौते इमरान उनके पक्ष में खड़े दिखे। उन्होंने सैन्य तख्तापलट को पाकिस्तान के लिए जरुरी बताया था।

आतंकियों से हैं इमरान के रिश्ते

इमरान की पार्टी के तालिबानी विचारधारा वाले कट्टरपंथी समी-उल-हक से अच्छे रिश्ते हैं। वे हमेशा से आतंकियों के साथ बातचीत के पक्षधर रहे हैं। इसके लिए पाकिस्तान में उनकी आलोचना भी होती रही है। अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन ने चुनाव से पहले इमरान को समर्थन दिया था। इमरान की पार्टी के उम्मीदवारों के साथ इस संगठन के आतंकियों ने तस्वीरें भी खिंचवाई थीं। ऐसे में यह उम्मीद करना कि इमरान के पाकिस्तान की कमान संभालने के बाद भारत से रिश्तों में सुधार आयेगा, गलत होगा।

आशिक मिजाज है इमरान

इमरान की छवि प्ले ब्वॉय वाली रही है। उन्होंने तीन शादियां की और सभी विवादों में रही। इमरान ने पहली शादी ब्रिटेन के एक अरबपति कारोबारी  की बेटी  जेमिमा से 16 मई 1995 को किया था। उस समय जेमिमा 21 साल की थी और इमरान 42 साल के थे। उसने शादी से पहले ही क्रिश्चियन धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लिया था। वहीं, निकाह के बाद वह लाहौर आ गई और ऊर्दू भी सीखी। इमरान और जेमिमा के दो बेटे भी हैं। करीब नौ साल बाद 22 जून 2004 को उनका तलाक हो गया। इमरान ने बताया था, जेमिमा पाकिस्तान के माहौल को अपना नहीं पा रही है। इस वजह से दोनों ने अलग होने का फैसला किया।

रेहम खान: कई महीने तक बातचीत के बाद जनवरी 2015 में ब्रिटिश-पाकिस्तानी पत्रकार और एंकर रेहम खान ने 62 साल के इमरान से निकाह किया। रेहम उस वक्त 42 साल की थीं। आखिरी उनकी शादी महज नौ महीने ही चल सकी। रेहम ने इमरान पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। इसके अलावा उन्होंने अपने और इमरान के रिश्तों को लेकर एक किताब भी लिखी, जो आम चुनाव के दौरान काफी चर्चा में थी। वहीं, इमरान ने एक बयान में रेहम से निकाह को अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करार दिया।

बुशरा मानेका: बुशरा ने इमरान के साथ एक सलाहकार से लेकर पत्नी तक का सफर तय किया है। उन्हें इमरान की धार्मिक गुरु का दर्जा मिला हुआ है। दोनों पहली बार 2015 में मिले थे। उस वक्त इमरान अपने उम्मीदवार की जीत के बारे में सवाल करने गए थे। बुशरा ने कहा था कि पीटीआई उम्मीवार की जीत होगी। नतीजे भी उनकी भविष्यवाणी के मुताबिक आए। बुशरा ने ही इमरान से कहा था, अगर आपको प्रधानमंत्री बनना है तो तीसरी शादी जरूरी है। फरवरी 2018 में दोनों ने शादी कर ली।

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