जरूरी नहीं कि हर शानदार कहानी का शानदार अंत यानि ‘हैप्पी एंडिंग’ ही हो। कई बार कहानी शेक्सपियर की नाटको की तरह ‘ट्रैजिक एंडिग’ का भी शिकार हो जाती है। विश्व विजेता धावक यूसैन बोल्ट के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। दुनिया भर के एथलीट जिसे हराने के लिए हरसंभव कोशिश करते रहें लेकिन हरा नहीं पाए वह अपने आखिरी रेस में ‘नियति’ से हार गया। उसे अपने इस हार का उतना व्यक्तिगत दुःख नहीं था, जितना इस बात का था कि उसने अपने साथियों की मेहनत को उनका ईनाम नहीं दिला पाया।

शनिवार देर रात विश्व एथेलेटिक्स चैंपियनशिप की 4*100 मीटर की स्पर्धा के लिए जब यूसैन बोल्ट आखिरी बार ट्रैक पर थे, तो दुनिया भर की निगाहें उन पर टिकी हुई थी। वे इस स्पर्धा में अपने पसंदीदा पोजीशन यानी चौथे और आखिरी लैप में खड़े थे, ताकि रेस के आखिरी में जमैका के टीम को बोल्ट की तेजी का पूरा फायदा मिल सके।

उनकी टीम ने अच्छी शुरुआत की और जब बोल्ट ने दौड़ना शुरू किया तो उनसे आगे सिर्फ दो खिलाड़ी ही थे। बेटन थामने के बाद  बोल्ट ने उन दो खिलाड़ियों से आगे निकलने की कोशिश की, लेकिन थोड़ी दूर दौड़ने के बाद ही वह लड़खड़ाने लगे और जमीन पर गिर गए। खबर है कि उनकी बाईं टांग में मांसपेशियों की चोट के कारण वो अचानक रुक गए थे।

middle2

जैसे ही बोल्ट ट्रैक पर गिरें, 70 हजार दर्शकों से भरा स्टेडियस सन्न रह गया। इसके बाद बोल्ट के लिए व्हीलचेयर लाई गई, लेकिन उन्होंने इस पर बैठने से इनकार कर दिया। बोल्ट अपनी रेस पूरी करने को प्रतिबद्ध थे, इसलिए उन्होंने अपनी टीम के साथियों के कंधे का सहारा लिया और आखिरी 30 मीटर लड़खड़ाते हुए पूरे किए। हालांकि आधिकारिक रूप से उनकी यह रेस अधूरी ही मानी गई।

इसी के साथ बोल्ट का आखिरी रेस जीतने का उनका सपना भी टूट गया। इस स्पर्धा का स्वर्ण मेजबान ब्रिटेन, रजत अमेरीका और कांस्य पदक जापान ने जीता। इससे पहले 100 मीटर के अपने आखिरी मुकाबले में भी बोल्ट अपने चिर प्रतिद्वंदी जस्टिन गैटलिन से हार गए थे।

रेस के बाद जमैकाई खिलाड़ी अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे। बोल्ट के साथियों का टीम की हार और और बोल्ट के जाने का दर्द साफ दिख रहा था। जमैका टीम में बोल्ट के साथी धावक मैकलॉड ने बताया कि इस घटना से बोल्ट काफी दुःखी थे और लगातार हमसे माफी मांगे जा रहे थे। मैकलॉड ने कहा कि हालांकि उन्हें ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी।

आसान नहीं होगा बोल्ट के रिकार्ड्स को तोड़ना

11 बार के विश्व चैंपियन और 8 बार के ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता बोल्ट अपने कैरियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं और उनकी जगह लेना दुनिया के किसी भी दूसरे एथलीट के लिए आसान नहीं होगा। इस महान एथलीट को 2008, 2009, 2011, 2012, 2013 और 2016 में वर्ल्ड एथलीट ऑफ द इयर से भी नवाजा जा चुका है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here