देवों के देव महादेव का माह का शुरू हो गया है। 11 मार्च को महाशिवरात्री है ऐसे में अभी से शिव जी से जुड़े व्रतों की शुरूआत हो चुकी है। सबसे पहले भौम प्रदोष शुरू हो रहा है। 9 फरवरी, मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है। भौम प्रदोष  का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। विवाहित महिलाएं अधिकतर इस दिन का ख्याल रखती हैं।

मान्यता है कि, जो भी साधक इस व्रत को सच्चे ह्रदय से करता है भगवान शिव उसकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उसके जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। ऐसे जातक को सुयोग्य जीवनसाथी की भी प्राप्ति होती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत का महत्व वार यानी कि दिन के हिसाब से अलग-अलग होता है।

इस तरह करें तैयारी

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प्रदोष व्रत के साधक को दिन सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। इसके बाद नहा-धोकर पूजाघर में साफ-सफाई करनी चाहिए। पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए। पूजाघर को गाय के गोबर से लीपना चाहिए। पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और पूजा-पाठ करना चाहिए।

पूजा की विधी

अगर केले के पत्ते मिल सकें तो इन पत्तों और रेशमी कपड़ों की सहायता से एक मंडप तैयार करना चाहिए। आटे, हल्दी और रंगों की सहायता से पूजाघर में एक रंगोली बनानी चाहिए। व्रती को कुश के आसन पर बैठ कर उत्तर-पूर्व की दिशा में मुंह करके भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।

करें इस मंत्र का जाप:

प्रदोष की पूजा करते समय साधक को भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पाठ करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए

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