चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है लेकिन उसे चुनाव संबंधी कानून बनाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। ये कहना है केंद्र सरकार का। चुनाव आयोग को ज्यादा स्वायत्तता देने की मांग को खारिज करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने कहा है कि चुनाव आयोग का काम सिर्फ निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है,नियम सरकार बनाएगी।

तमाम संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता की वकालल करने वाली केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग की स्वायत्तता से जुड़े मामले में कंदम पीछे खींच लिए हैं। केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग को स्वायत्तता देने से इनकार कर दिया है। चुनाव आयोग को स्वयत्तता की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्थान है लेकिन उसे कानून बनाने का अधिकार नहीं दे सकते। साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह दूसरे चुनाव आयुक्त को बराबरी का दर्जा भी नहीं दे सकते। केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि चुनाव सुधार को लेकर सारे फैसले करने का अधिकार केवल संसद के पास है और ये नीतिगत मामला है। केंद्र ने कहा है कि चुनाव आयोग की तुलना लोकसभा, राज्यसभा या सुप्रीम कोर्ट से नहीं की जा सकती। लोकसभा, राज्यसभा या सुप्रीम कोर्ट को संविधान ने अपने अपने कार्य के बंटवारे के अधिकार दिए हैं। साथ ही चुनाव आयोग को लोकसभा और राज्यसभा की तरह अलग से कंसोलिडेटेड फण्ड नहीं दिया जा सकता।

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि चुनाव आयोग को अलग से सचिवालय की भी जरूरत नहीं क्योंकि चुनाव आयोग का काम केवल निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है। केंद्र का ये भी कहना है कि याचिककर्त्ता ये बताने में असफल रहा है कि इनका और जनता का कौन सा हित प्रभावित हो रहा है। स्वायत्तता की मांग वाली याचिका में कहा गया है की राज्य और लोकसभा की तरह चुनाव आयोग का भी सचिवालय होना चाहिए और मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह दो चुनाव आयुक्तों को हटाने का प्रावधान वही होना चाहिये जो मुख्य चुनाव आयुक्त के लिए है। अब मामले की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

चुनाव आयोग खुद भी स्वायत्तता की मांग को लेकर हलफ़नामा दाखिल कर चुका है। अपने हलफनामे में आयोग ने कहा है कि चुनाव संबंधी नियम बनाने के अधिकार आयोग को मिले। आयोग ने कहा है कि वो ज़्यादा स्वायत्तता की गुहार 2010 से लगा रहा है।

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