दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (5 जनवरी) को दिल्ली पुलिस के द्वारा एक मामले में कानून के मुताबिक की गई उचित कार्रवाई पर संतोष जाहिर किया। मामला दिल्ली की एक महिला वकील के घर में जबरन दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के घुसने का था।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति  दीपा शर्मा की दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने  महिला वकील के खिलाफ दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा की गई अवैध कार्रवाई पर दाखिल की गई याचिका का निपटरा कर दिया और दिल्ली पुलिस को कुछ खास निर्देश दिए।

बेंच ने निम्नलिखित निर्देश पारित किए

  • याचिकाकर्ता की शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाए।
  • दिल्ली पुलिस याचिकाकर्ता की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी और साथ ही हर तीन महीने में आवेदक की सुरक्षा और किसी तरह के खतरे की समीक्षा करेगी। विशेष विभाग के डीसीपी खतरे का मूल्यांकन और समीक्षा कर सकते हैं।

इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली के दक्षिण ज़िला के डीसीपी द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया कि सफदरजंग एनक्लेव पुलिस स्टेशन के उपनिरीक्षक नरेश कुमार को दुर्व्यवहार का दोषी पाया गया और उनके खिलाफ एक विभागीय जांच की जा रही है। स्टेटस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दिल्ली पुलिस ने संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है।

बता दें कि एक पारिवारिक विवाद के मामले में महिला वकील दीपा आर्या को  दिल्ली हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से संरक्षण दिया हुआ था। लेकिन कोर्ट के आदेश के कुछ घंटे बाद ही सफदरजंग थाने के एसआई नरेश कुमार ने दीपा को उनके केस के वकील आरके सैनी के घर से हिरासत में ले लिया था। इस कार्रवाई के खिलाफ बीते 20 दिसंबर को ना सिर्फ वकील हड़ताल पर चले गए थे बल्कि पुलिस की इस कारवाई के खिलाफ हाईकोर्ट ने भी तुरंत संज्ञान लिया था और मामले की सुनवाई की थी।

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