Income Tax Act: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आयकर अधिकारी को आयकर अधिनियम की धारा 153ए के तहत अगर तलाशी के दौरान कोई आपत्तिजनक साक्ष्य नहीं मिलता है तो करदाता की आय में वृद्धि नहीं कर सकते हैं। हालांकि, अगर कोई सबूत बाद में सामने आता है तो अधिकारियों के लिए कर उल्लंघन के मामलों को फिर से खोलने की गुंजाइश छोड़ दी है।
एमआर शाह और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ का फैसला
I-T अधिनियम की धारा 153A व्यक्ति की आय निर्धारित करने की प्रक्रिया को दर्शाता है। इसका उद्देश्य अघोषित आय को कर के दायरे में लाना है। धारा 147/148 के तहत मामले दोबारा खोले जा सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने कहा कि अगर तलाशी के दौरान कोई आपत्तिजनक साक्ष्य नहीं मिलता है, तो मूल्यांकन अधिकारी (एओ) अन्य सामग्री का आकलन नहीं कर सकता है।
नहीं खोल सकते ऐसे मामले
सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि आयकर कानून की धारा 153A के तहत जिन मामलों में असेसमेंट पूरा हो चुका है, उन्हें आयकर विभाग फिर से नहीं खोल सकता है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर तलाशी या जब्ती अभियान के दौरान कोई ठोस सबूत मिलते हैं तो ही री-असेसमेंट ऑर्डर जारी किए जा सकते हैं।
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