सरकार 5 लाख तक की आय को कर सकती है टैक्स फ्री, जानिए भारत में कब से लगाया जा रहा है Income Tax और अभी तक कितने हुए बदलाव

केंद्र सरकार आयकरदाताओं को इस बार थोड़ी सी, या, यूं कहे की 5 लाख तक की आय वाले लोगों को अब आयकर (Income Tax) भरने से पूरी तरह से छूट दे सकती है।

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सरकार 5 लाख तक की आय को कर सकती है टैक्स फ्री, जानिए भारत में कब से लगाया जा रहा है Income Tax और अभी तक कितने हुए बदलाव - APN News
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आर्थिक मामलो के अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आयकरदाताओं को इस बार थोड़ी सी, या, यूं कहे की 5 लाख तक की आय वाले लोगों को अब आयकर (Income Tax) भरने से पूरी तरह से छूट दे सकती है। इसके पिछे का मकसद देश के आयकरदाताओं (Taxpayers) के बीच नई टैक्स व्यवस्था को बढ़ावा देना है। 2020 के बजट के दौरान पेश की गई नए टैक्स सिस्टम को दो साल बीत जाने के बाद भी 10 से 12 फीसदी लोगों ने ही अपनाया है। टैक्स को लेकर अगर इस बात पर सहमति बनती है तो 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में इसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की जा सकती हैं।

सूत्रों ने अखबार को बताया कि 2023 के लिए बजट बनाने की कवायद शुरू हो चूकी है इसके तहत ही टैक्स संबंधी एजेंडा अगले सप्ताह से शुरू होंगे, जहां कराधान (Taxation) व्यवस्था में इस तरह के बदलाव पर गौर करने की उम्मीद है। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि, किसी भी बदलाव में यह ध्यान रखा जाएगा कि इससे सरकार के राजस्व को अधिक नुकसान न हो।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स फ्री आय के दायरे में बढ़ोतरी करने से संभावित तौर पर होने वाले राजस्व नुकसान को लेकर प्रारंभिक अनुमान लगाया गया है। अब इसे बजट निर्माताओं के पास विचार के लिए भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी चर्चा हो सकती है कि व्यक्तिगत आयकर की पुरानी और नई, दोनों व्यवस्थाओं को जारी रखा जाये या फिर इनमें भी बदलाव की जरूरत है।

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क्या है अभी Income Tax को लेकर क्या है प्रावधान?

देश में अभी टैक्स को फाइल करने के लिए अभी आपको 2 ऑप्शन मिलते हैं। जिनसे से एक है 1 अप्रैल 2020 को सरकार द्वारा लाया गया नया टैक्स स्लैब जिस के तहत 5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर टैक्स की दरें तो कम रखी गई, लेकिन कई छूट के प्रावधानों को खत्म कर दिया गया। इसके साथ ही 5 लाख से नीचे की आय हो तो दोनों विकल्प में टैक्स की दरें समान है।

अभी सरकार 2.5 लाख से 5 लाख तक की कमाई पर 5 फीसदी टैक्स लेती है, लेकिन इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act, 1961) के सेक्शन 87A के तहत इस टैक्स माफ कर देती है। यानी अगर आपकी सालाना टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक है, तो आपका टैक्स 2.5 लाख का 5 फीसदी यानी 12,500 रुपये होता है, जिसको सरकार 87A के तहत माफ कर देती है।

5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को आयकर के भुगतान से पूरी तरह राहत प्रदान करने के लिए वित्त अधिनियम, 2019 के माध्यम से 100 फीसदी कर छूट देने की व्यवस्था की गई है।

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क्या है ओल्ड टैक्स स्लैब और नया टैक्स स्लैब?

पुराना टैक्स स्लैब

पुराने टैक्स स्लैब (Old Tax Slab) में 5 लाख तक की आय पर किसी तरह का टैक्स जमा नहीं करना होता है। इसके अलावा आय कर अधिनियम के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स जमा करने से छूट मिलती है। इस हिसाब से करदाताओं (Taxpayers) को करीब साढ़े 6 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है। पुराने टैक्स स्लैब में इनकम टैक्स रेट प्रमुख तौर पर आपकी आय पर निर्भर करता है। इसके अलावा इसमें उम्र को भी आधार बनाया जाता है

पुराना आयकर स्लैब (Old Tax Slab) के तहत मुख्य तौर पर चार ही श्रेणियां है-

2.5 लाख तक- 0 फीसदी

2.5 लाख से 5 लाख तक- 5 फीसदी

5 लाख से 10 लाख तक- 20 फीसदी

10 लाख से ऊपर- 30 फीसदी

वहीं, टैक्स भरते समय उम्र का ख्याल भी रखा जाता है, जैसे अगर आपकी उम्र 60 साल से 79 साल के बीच है, तो आप सीनियर सिटीजन कैटेगरी में आयेंगे, इसका अर्थ ये हुआ कि आपको 3 लाख तक आय पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। इसके अलावा अगर आपकी उम्र 80 से अधिक है तो फिर आपको 5 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

नया टैक्स स्लैब? New Tax Slab

नए टैक्स स्लैब (New Tax Slab) को देखें तो इसमें टैक्स रेट को पुराने के मामले में थोड़ा कम रखा गया है। फरवरी 2020 में बजट के दौरान पेश किये गए नये टैक्स स्लैब में कम दर तो है लेकिन इसके साथ ही स्लैब ज्यादा हैं। इसके अलावा पुराने टैक्स स्लैब में मिलने वाली कई तरह की छूट और कटौती के लाभ में कटौती की गई है। नई आयकर प्रणाली में जैसे-जैसे इनकम में इजाफा होता जाता है, टैक्स स्लैब बढ़ता चला जाता है और इसी के साथ बढ़ती चली जाती है टैक्स की देनदारी। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि पुरानी व्यवस्था में तीन स्लैब (टैक्स भरने वाले स्लैब) की तुलना में छह स्लैब वाले ढांचे ने लोगों को भ्रमित किया है।

नए टैक्स स्लैब के तहत लगने वाला टैक्स

0 से 2.5 लाख – 0 टैक्स

2.5 से 5 लाख – 5 फीसदी (लेकिन 87ए के तहत छूट)

5 से 7.5 लाख – 10 फीसदी

7।5 से 10 लाख – 15 फीसदी

10 से 12.5 लाख – 20 फीसदी

12।5 से 15 लाख – 25 फीसदी

15 लाख से ज्यादा – 30 फीसदी

क्या है संस्थानों का रूख?

मंदी की आंशका के बीच खपत बढ़ाने की दृष्टि से, उद्योग मंडल CII ने करदाताओं के लिए आयकर स्लैब और दरों को युक्तिसंगत बनाने जैसी नीतियों को लागू करने का सुझाव दिया था। CII के अनुसार “व्यक्तियों के लिए व्यक्तिगत कर की दरों को कम करना इस समय की आवश्यकता है”।

पुराने टैक्स शासन में, कुछ 70 तरह की कटौती और छूट दी जाती है जैसे कि मानक कटौती, मकान किराया भत्ता और छुट्टी यात्रा भत्ता (LTA) के लिए छूट, इसके अलावा धारा 80C के तहत कटौती (विभिन्न निवेशों और भुगतानों जैसे कि ट्यूशन फीस, मूल पुनर्भुगतान के लिए) होम लोन), 80D (चिकित्सा बीमा / व्यय के लिए), 80TTA (बचत बैंक ब्याज) या आवास ऋण ब्याज के लिए `2 लाख की कटौती आदि शामिल हैं।

कितने लोग देते हैं Tax

आकलन वर्ष 2022-23 के लिए 31 जुलाई 2022 तक 5.8 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल किए गए थे। राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में 76 लाख से अधिक व्यक्तियों की आय 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच थी। पिछले वर्ष में ऐसे व्यक्तियों की संख्या 72 लाख से अधिक थी। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में 1 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले व्यक्तियों की संख्या सिर्फ 1,31,390 थी। पिछले वर्ष ऐसे व्यक्तियों की संख्या 1,25,023 थी।

भारत में कर का इतिहास- India’s Taxation History

1860 में द इकोनॉमिस्ट मैग्जीन के फाउंडर जेम्स विल्सन द्वारा पहली बार भारत में कर व्यवस्था को लागू किया गया था। भारत का पहला “केंद्रीय बजट” स्वतंत्रता-पूर्व भारत में वायसराय लॉर्ड कैनिंग की काउंसिल में फाइनेंस मेंबर (वित्त मंत्री), जेम्स विल्सन द्वारा 7 अप्रैल, 1860 को पेश किया गया था। 1860 के भारतीय आयकर अधिनियम को 1857 के सैन्य विद्रोह के कारण सरकार द्वारा जारी नुकसान को पूरा करने के लिए लागू किया गया था।

इसके बाद 1886 में अलग आयकर अधिनियम पारित किया गया। यह अधिनियम समय-समय पर विभिन्न संशोधनों के साथ लागू रहा। इसके बाद 1918 में एक नया आयकर अधिनियम पारित किया गया। 1918 के भारतीय आयकर अधिनियम ने 1886 के भारतीय आयकर अधिनियम को खत्म कर दिया और कई महत्वपूर्ण बदलाव पेश किए।

1922 में फिर से इसे एक और नए अधिनियम द्वारा बदल दिया गया। भारत में आयकर विभाग का संगठनात्मक इतिहास वर्ष 1922 से ही शुरू होता है। आयकर अधिनियम, 1922 ने पहली बार एक विशिष्ट नामकरण किया विभिन्न आयकर अधिकारी। 1922 का आयकर अधिनियम देश को 1947 में मिली स्वतंत्रता के बाद भी वर्ष 1961 तक लागू रहा।

1961 में विधि आयोग की सिफारिशों के आधार पर कानून मंत्रालय से सलाह-मशविरा कर अंततः आयकर अधिनियम, 1961 (IncomeTax Act, 1961) पारित किया गया। आयकर अधिनियम 1961 को 1 अप्रैल 1962 से लागू किया गया था जो आज तक लागू है।

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