Supreme Court ने खारिज की ताजमहल के बंद दरवाजों को खोलने की याचिका

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Supreme Court ने खारिज की ताजमहल के बंद दरवाजों को खोलने की याचिका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई सहमति
Supreme Court ने खारिज की ताजमहल के बंद दरवाजों को खोलने की याचिका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई सहमति

दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल के बंद दरवाजों को खोलने की याचिका को Supreme Court ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “याचिका जनहित की बजाय केवल प्रचार के लिए दाखिल की गई है।” जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने याचिका को “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” करार देते हुए खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने बिल्कुल सही फैसला सुनाया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।

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File Photo: Supreme Court

Supreme Court से कहा “ASI के पास भी नहीं संतोषजनक जवाब”

दरअसल, Supreme Court में दाखिल याचिका में रजनीश सिंह ने कहा है कि स्कूलों में हमेशा यह पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने 1631 से 1653 तक करीब 22 सालों में करवाया था। लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। याचिका के मुताबिक उन्होंने ASI के पास भी RTI भेजी लेकिन वहां से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। जिससे साफ होता है कि इस विश्व धरोहर के इतिहास के बारे में ASI के पास भी कोई जानकारी नहीं है और ना ही वो इसे जानने के लिए इच्छुक है।

“किसी भी ऐतिहासिक शोध की जरूरत है”

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह ने कहा सुप्रीम कोर्ट में आदेश को चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि कमरे को खोलने की मांग के लिए किसी भी ऐतिहासिक शोध की जरूरत है, हम रिट याचिका पर विचार करने में सक्षम नहीं हैं, यह याचिका खारिज की जाती है।

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Taj Mahal

‘सूचना का अधिकार’ के तहत दाखिल हुई थी याचिका

दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि सूचना का अधिकार भी आर्टिकल 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का एक हिस्सा है। बिना किसी ठोस प्रमाण के अगर आपको कोई जानकारी दी जाती है तो वह मूल अधिकारों का हनन होगा। इसलिए ताजमहल का सही प्रामाणिक जांच होनी चाहिए जिससे सबको इसका सही इतिहास पता लगे। याचिका में मांग की गई है कि सही जानकारी सामने लाने के लिए जांच कमेटी का गठन किया जाना चाहिए।”

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