स्पेशल सीबीआई जज बी एच लोया के मौत मामले में आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सोमवार (19 फरवरी) को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकिल दुष्यंत दवे ने कहा कि बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया ने नोटिस जारी कर कहा कि आप याचिकाकर्ता के लिये क्यों पेश हो रहे हैं और दबाव बनाने की कोशिश हो रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये जज की मौत का मामला है, हम इसको लेकर गंभीर हैं, बाहर क्या बोला जाता है, अदालत को इससे मतलब नहीं। साथ ही कोर्ट ने दुष्यंत दवे से कहा कि आप अपीयर हों, हम आपको आश्वस्त करते हैं।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ये सवाल महत्वपूर्ण है कि CrPC की धारा 174 का ठीक से पालन किया गया है या नहीं, ये शक की वजह हो सकता है। दुष्यंत दवे  ने कहा कि सरकार जज लोया को सुरक्षा देने में नाकाम रही और ना ही ठीक इलाज की व्यवस्था हुई। उनकी मौत की सही वजह का पता नहीं लगाया गया।

वहीं महाराष्ट्र सरकार कि तरफ से कहा गया कि जज लोया के मामले को लेकर कोई कोताही नही बरती गई है। उनको सही समय पर अस्पताल ले जाया गया, कोई गड़बड़ी नही की गई। उनके साथी जजों के बयानों पर भरोसा करना चाहिए। मामले कि अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी।

गौरतलब है कि 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी के एनकाउंटर के मामले को 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया। शुरुआत में जज जेटी उत्पत इस केस की सुनवाई कर रहे थे लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश ना होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया। फिर केस की सुनवाई जज बी एच लोया ने की और नवंबर 2014 में  नागुपर में उनकी मौत हो गई और उनकी मौत की वजह हार्टअटैक बताया गया।

लेकिन इस पूरे मामले पर पिछले दिनों मीडिया में जज लोया की बहन के खुलासे के बाद लगातार इस मामले की जांच की बात उठ रही है। जज लोया की बहन ने बताया कि सोहराबुद्दीन मामले में एक खास पक्ष में फैसला देने के लिए जज लोया को 100 करोड़ रुपये और मुंबई में एक घर देने की पेशकश की गई थी जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। इसके बाद उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

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